Class 12th
Subject - Hindi
Topic - 1
भय
लेखक का नाम- आचार्य रामचंद्र शुक्ल
वास्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1 सहि विकलप चूनर लखिऐ -
(क) भय पाठ के लेखक है -
Ans- आचार्य रामचंद्र शुक्ल!
(ख) आने वाली विपत्ति या दु:ख से उत्पन्न होता है-
उत्तर:- भय ।
(ग) भय के समानान्तर एक अन्य मनोविकार है -
उत्तर- आशका!
(4) भय का रूप नहीं है-
उत्तर- वीरता!
(5) भय के रूप बताए गये है -
Ans- दो
प्रश्न 2 रिक्ता सतानो की पूर्ति कीजिय-
( 1) भय का विषय दो रुपों मे सामने आता है!
(2) स्वभावगत भय कायरता कहलाता है।
(3)आवेग शुन्य भय को_आशका_ कहते है।
(4) साध्य विषय __प्रयत्न__द्वारा दुर किया जा सकता है।
(5) भय जब _स्वभावगत_हो जाता है, तब कायरता कहलता है।
प्रश्न-3 सही और गलत लिखिए-
(1) 'भय' निबन्ध के निबंधकार महावीर प्रसाद द्विवेदी है!--
उतर:- असत्य।
( 2) आवेग शुन्य भय आशंका कहलाता है।
उतर - सत्य
(3 ) मनुष्य के दुख़ का कारण भी मनुष्य ही है।
उतर :- ✓
(4) भय और आशंका एक ही है।
उतर:- ×
(5) जंगली जाति और बच्चों में भय अधिक होता है।
उतर:-✓
प्रश्न-4 जोड़ी बनाइए-
( अ)। ( ब). ans:-
(1) सुख। - अभय 5
(2) अन्त। - अज्ञान. 3
(3) ज्ञान। - असाध्य 4
(4) साध्य। - अनन्त. 2
(5) भय। - दुख. 1
प्रश्न:- 5 एक शब्द/ वाक्य में उतर दीजिए-
(1) वह भीऱुता जिसकी प्रशंसा होती है।
उत्तर:- धर्मभीरुता।
(2) भय पाठ के लेखक कौन है?
उत्तर:- आचार्य रामचंद्र शुक्ल।
(3) अधिक भय किनमे होता है?
उत्तर:- बच्चों में।
(4) साध्य शब्द का विलोम करता है।
उत्तर:- असाध्य।
प्रश्न 6 अति लघु प्रश्न
1) 'भय' कायरता या भीरुता की संज्ञा कब प्राप्त करता है?
उत्तर:- भय जब स्वभावगत होता है,तब कायरता या भीरूता की संज्ञा प्राप्त करता है।
2) किस प्रकार के भय को आशंका कहा गया है?
उत्तर:- दुःख या आपत्ति का पुर्ण निशचय न रहने पर उसकी सम्भावना मा॒त्र के अनुमान से जो आवेग शुन्य भय होता है,उसे आशंका कहते हैं।
3) भय किन -किन रुपों में सामने आता है?
उत्तर:- भय दो रुपों में सामने आता है।
भय के रूप:- 1) असाध्य ।
2) साध्य ।
4) किस भय के कारण व्यापारी व्यवसाय में हाथ नहीं डालते?
उत्तर:- अर्थ हानि के भय से व्यापारी व्यवसाय में हाथ नहीं डालते हैं।
प्रश्न 1 भय और आशंका में क्या अन्तर है?
उत्तर:- 'भय' आने वाली विपत्ति या दुःख के साक्षात्कार से उत्पन्न होता है। 'आशंका' भी भय का एक अंग है। इसमें भय का पुर्ण निश्चित नहीं होता। इसमें सम्भावना पुर्ण अनुमान रहता है। आशंका में आवेग का अभाव रहता है।
प्रश्न 2 भय किन किन स्थितियों में 'साध्य' का स्वरुप प्राप्त करता है?
उत्तर:- भय का साध्य विषय वह है, जो प्रयत्न द्वारा दुर किया जा सकता है। यह मनुष्य के स्वभाव पर निर्भर होती है। कड़े दिलवाले या साहसी आदमी जल्दी डरता नहीं है। डरता भी है, तो संभलकर अपने बचाव के उपाय में लग जाता है।
प्रश्न 3 जंगली जातियां भय से स्थायी रक्षा हेतु क्या उपाय करते हैं?
उत्तर:- जंगली जातियां के परिचय का विस्तार बहुत कम होता है। इसलिए जंगली और असभ्य जातियों में भय अधिक होता हैं, जिससे वह भयभीत हो सकतें हैं, उसी को वे श्रेष्ठ मानते हैं, और उसी की स्तुति करते हैं। किसी आपत्ति या दुःख से बचे रहने के लिए ही अधिकतर वे देवी- देवता की पूजा करते हैं।
प्रश्न 1 सभ्यता के विकास क्रम में भय की विवेचना कीजिए?
उत्तर:- सभ्यता की वर्तमान स्थिति में एक व्यक्ति को दुसरे व्यक्ति से वैसा भय तो नहीं रहता, जैसे पहले रहा करता था, पर एक जाति को दुसरी जाति से, एक देश को दुसरे देश से, भय के स्थायी कारण प्रतिष्ठित हो गये है। सबल और निर्बल देशों के बीच अर्थ शोषण की प्रक्रिया चल रही है, एक क्षण का विराम नहीं है। इस सार्वभौम वणिग्वृति से उतना अनर्थ कभी न होता, यदि क्षात्रवृति उसके लक्ष्य से अपना लक्ष्य अलग रखती । पर इस युग में दोनों का विलक्षण सहयोग हो गया है।
प्रश्न 2 ' निर्भयता' की प्राप्ति हेतु क्या अपेक्षित है?
उत्तर:- निर्भयता के सम्पादन के लिए दो बातें अपेक्षित होती है- पहली तो यह कि दुसरो को हमसे किसी प्रकार का भय या कष्ट न हो; दुसरी यह कि दुसरे हमको कष्ट या भय पहुंचाने का साहस न कर सके। इनमें से एक का संबंध उत्कृष्ट शील से है इस संसार में किसी को न डराने से ही डरने की संभावना दुर नहीं हो सकती। साधु से साधु प्रकृति वाले को क्रुर लोभियों और दुर्जनो से क्लेश पहुंचता है।
प्रश्न 3 जीवन में भिरुता किन किन स्थितियों में दिखाई देती है?
उत्तर:- जीवन में व्यापारो मैं भी भिरूता दिखाई देती है। अर्थहानि के भय से बहुत से व्यापारी कभी-कभी किसी विशेष व्यवसाय में हाथ नहीं डालते; परास्त होने के भय से बहुत से पंडित कभी-कभी शास्त्रार्थ से मुंह चुराते हैं।इस प्रकार की भीरुता की तह में सहन करने की अक्षमता और अपनी शक्ति का अविश्वास निहित है।भीरू व्यापारी में अर्थ हानि सहने की अक्षमता और अपने व्यवसाय -कौशल पर अविश्वास तथा भीरू पंडित में मानहानि सहने की अक्षमता और अपने विद्या- बुद्धि बल पर अविश्वास निहित है। एक ही प्रकार की भीरुता ऐसी दिखाई पड़ती है, जिसकी प्रशंसा होती है। वह धर्म-भिरुता है।
प्रश्न 4 "कर्मक्षेत्र के चक्रव्यूह में पढ़कर जिस प्रकार सुखी होना प्रयत्न - साध्य होता है; उसी प्रकार निर्भर रहना भी" इस कथन की विवेचना कीजिए !
उत्तर:- कर्मक्षेत्र के चक्रव्यूह में पढ़कर जिस प्रकार सुखी होना प्रयत्न साध्य होता है, उसी प्रकार निर्भय रहना भी।जीवन कर्मक्षेत्र का दूसरा नाम है। इस कर्मक्षेत्र में भय,आशंका, भीरुता आदि से सामना होता है। जिसे दूर करने के लिए प्रयत्न किया जाता है। प्रयत्न के द्वारा व्यक्ति सुखी जीवन जी सकता है। उसी प्रकार मनुष्य प्रयत्न द्वारा निर्भय रह सकता है। निर्भयता के संपादन के लिए दो बातें अपेक्षित है - पहली तो यह कि दूसरों को हमसे किसी प्रकार का भय या कष्ट ना हो, दूसरी यह कि दूसरे हमको कष्ट या भय पहुंचाने का साहस न कर सके। अपने आचरण, शक्ति और पुरुषार्थ से व्यक्ति निर्भय हो सकता है।
प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए-
साध्य, क्षमता, विश्वास, सुखात्मक।
उत्तर :- साध्य - असाध्य
विश्वास - अविश्वास
क्षमता - अक्षमता
सुखात्मक - दुखात्मक
प्रश्न 2 निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग और प्रत्यय पृथक करके लिखिए-
सार्वभौमिक, परिस्थिति, अज्ञात, अपरिचित, भीरुता , विशेष।
उत्तर:- शब्द उपसर्ग शब्द प्रत्यय
सार्वभौमिक - सार्व + भूमि + इक
परिस्थिति - परी + स्थिति -
अज्ञान - अ। + ज्ञान -
अपरिचित - अ + परिचित -
भीरुता। - भीरु। + ता। -
विशेष। - वि + शेष -
प्रश्न 3 निम्नलिखित वाक्यों के लिए एक- एक शब्द लिखिए-
1) जिसकी कल्पना न की जा सके।
उत्तर:-अकल्पनीय
2) जिसका अंत ना हो।
उत्तर:-अनंत
3) जिसके समान कोई दूसरा ना हो।
उत्तर:-अद्वितीय
4) बिना सोचे - समझे किया गया विश्वास।
उत्तर:- अंधविश्वास
प्रश्न 4 नीचे दिए वाक्य में से सरल, संयुक्त और मिश्र वाक्य छांटिए-
1) मेरा विचार है कि आज घूमने चलें।
उत्तर:- संयुक्त वाक्य
2) मैंने एक व्यक्ति को देखा जो बहुत लंबा था।
उत्तर:- मिश्र वाक्य
3) बालिकाएं गा रही है और नाच रही है।
उत्तर:- संयुक्त वाक्य
4) बच्चे लाइन में जाएंगे।
उत्तर:- सरल वाक्य
5) अध्यापक चाहता है कि उसके सभी शिष्य अच्छे बने।
उत्तर:- संयुक्त वाक्य
6) मैंने उसे मना लिया ।
उत्तर:- सरल वाक्य
प्रश्न- 'भय' किस रस का स्थाई भाव है? संबंधित रस की चार पंक्तियां उद्धृत कीजिए-
उत्तर:- भय भयानक रस का स्थाई भाव है।
एक ओर अजगर लखी, एक ओर मृगराय ।विकल बटोही बीच ही, परयों मुच्छा जाय।।
2 Comments
Tq
ReplyDeleteThank you
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