Topic - 10
गीता और स्वधर्म
लेखक का नाम-विनोबाजी
प्रश्न 1 अर्जुन के स्वभाव में कौन सी वृत्ति विद्यमान थी?
उत्तर:-अर्जुन के स्वभाव में छात्रावृत्ति विद्यमान थी।
प्रश्न 2 किस सजा से अपराधी के सुधारने की आशा नष्ट हो जाती है?
उत्तर:-फांसी की सजा से अपराधी के सुधारने की आशा नष्ट हो जाती है।
प्रश्न 3 लेखक किस सागर में डुबकी लगाकर बैठ जाता है?
उत्तर:-लेखक गीता के अमृत सागर में गहरी डुबकी लगाकर बैठ जाता है।
प्रश्न 4 किस ने श्री कृष्ण से अपना सारथ्य स्वीकार कराया?
उत्तर:-अर्जुन ने श्रीकृष्ण से अपना सारथ्य स्वीकार कराया।
प्रश्न 5 युद्ध में आज स्वजन संबंधियों की कितनी पीढ़ियां एकत्र हुई थी?
उत्तर:-युद्ध में आज स्वजन संबंधियों की चार पीढ़ियां एकत्र हुई थी।
प्रश्न 6 अर्जुन के मन में कौन सा भाव उत्पन्न हो गया था?
उत्तर:-अर्जुन के मन में स्वरधर्म के विषय में मोह पैदा हो गया था।
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 गीता के गगन में लेखक किन उपकरणों से उड़ान भरता है?
उत्तर:-तर्क को काटकर श्रद्धा और प्रयोग, इन दो पंखों से ही लेखक गीता गगन में यथाशक्ति उड़ान भरता रहता है।
प्रश्न 2 अर्जुन ने अकेले ही किन-किन के दांत खट्टे कर दिये थे?
उत्तर:-गो ग्रहन युद्ध के समय अर्जुन ने अकेले ही भीष्म, द्रोण और कर्ण के दांत खट्टे कर दिए थे।
प्रश्न 3 युद्ध टालने के लिए कौन-कौन सी दोनों बातें बेकार हो चुकी थी?
उत्तर:-युद्ध टालने के लिए कम से कम मांग का प्रस्ताव और श्रीकृष्ण जैसे मध्यस्थता, दोनों बातें बेकार हो चुकी थी।
प्रश्न 4 लेखक के अनुसार गीता के जन्म का उद्देश्य क्या था?
उत्तर:-लेखक के अनुसार गीता के जन्म का उद्देश्य मोह निरसन ही था। गीता लोक हृदय के मोहावरण को दूर करती है।
प्रश्न 5 लेखक के अनुसार गीता का मुख्य काम क्या क्या है?
उत्तर:-लेखक के अनुसार गीता का मुख्य काम मोह,ममत्व तथा आसक्ति को दूर करना है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 विनोबा जी का गीता के साथ किस प्रकार का संबंध था?
उत्तर:-विनोबाजी और गीता का संबंध तर्क से परे हैं। उनका शरीर मां के दूध पर जितना पला है, उससे कहीं अधिक उनके हृदय और बुद्धि का पोषण गीता के दूध पर हुआ है। वे प्रायः गीता के वातावरण में ही रहते थे। गीता उनका तत्व है। जब वह गीता के संबंध में बात करते हैं, तब गीता-सागर पर तैरते हैं और जब अकेले रहते हैं, तब उस अमृत सागर में गहरी डुबकी लगा कर बैठ जाते हैं।
प्रश्न 2 अर्जुन को महावीर क्यों कहा गया?
उत्तर:-अर्जुन को महावीर इसलिए कहा गया है, क्योंकि सैकड़ों लड़ाई हो में उसने अपना जौहर दिखाया था। उत्तर गो ग्रहण युद्ध के समय उसने अकेले ही भीष्म, द्रोण और कर्ण के दांत खट्टे कर दिए थे। वीरवृत्ति उसके रोम-रोम में भरी थी।
प्रश्न 3 युद्ध क्षेत्र में स्वजनों को देखकर अर्जुन के मन में कौन- कौन से भाव उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:-युद्ध क्षेत्र में अपना रथ खड़ा करके अर्जुन ने कृष्ण से कहा कि वह उन लोगों के चेहरे देखना चाहता है, जो उससे लड़ने के लिए तैयार होकर आए हैं। अर्जुन ने दोनों ओर अपने ही नाते- रिश्तेदारों संगे-संबंधियों का जमघट देखा
अपने स्वजन समूह को देखकर उसके हृदय में उथल-पुथल मची तथा आसक्ति जनित मोह ने उसकी कर्तव्यनिष्ठा को ग्रस लिया। वह श्री कृष्ण को ही युद्ध के संकट संबंधी दलीलें देकर समझाने लगा।
प्रश्न 4 न्यायधीश के उदाहरण से लेखक क्या सीख देना चाहता है?
उत्तर:-न्यायधीश के उदाहरण से लेखक यह सीख देना चाहता है कि आसक्ति जनित मोह व्यक्ति को कर्तव्य से दूर कर देता है, ऐसे समय वह अपने कर्तव्य से पृथक होकर अनेक दलीले देने लगता है। सैकड़ों अपराधियों को फांसी की सजा देने वाले न्यायधीश का बेटा खून के जुर्म में उसके सामने पेश किया जाता है, तो वह बुद्धिवाद बघारने लगता है- जैसे फांसी की सजा बड़ी अमानुषी है। ऐसी सजा देना मनुष्य को शोभा नहीं देता...... आदि। इस प्रकार वह न्यायधीश ही अपने को कर्तव्य से हीन कर देता है।
प्रश्न 5 श्री कृष्ण ने अर्जुन की जिज्ञासाओं का कैसा समाधान किया?
उत्तर:-अर्जुन ने युद्ध संबंधी अनेक दलीले कृष्ण को दी थी, उसके पीछे अर्जुन का तत्वज्ञान दिखाई नहीं देता है, वह केवल प्रज्ञाविद था। इसलिए कृष्ण ने उस पर जरा भी ध्यान न देकर सीधा उसके मोहनाश का उपाय शुरू किया। मोह-नाश का विवेचन गीता में है। अर्जुन की आसक्ति दूर कर श्रीकृष्ण ने उसकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
प्रश्न 6 गीता का निष्कर्ष क्या है?
उत्तर:-लोक हदय के मोहावरण को दूर करना ही गीता का उद्देश्य है। गीता के उपक्रम और उपसंहार मिलाकर देखें, तो मोह निरसन ही उसका तात्पर्य निकलता है। निष्कर्ष रूप से कहा जाता है कि गीता का जन्म स्वधर्म में बाधक मोह के निवारणार्थ हुआ है।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 1 दिए गए मुहावरों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
उत्तर:-1) दांत खट्टे कर देना:-
युद्ध में भारतीय सैनिकों ने शत्रु सेना के दांत खट्टे कर दिए।
2) उथल-पुथल मचना:-
शहर में आतंकवादियों के आतंक से उथल-पुथल मच गई।
3) आंखें गीली होना:-
वीर सैनिक के शहीद होने से लोगों की आंखें गीली हो गई।
4) जौहर दिखाना:-
रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को युद्ध में अपना जौहर दिखा दिया।
5) उड़ान भरना:-
हवाई जहाज ने प्रातः 7:00 बजे मुंबई के लिए उड़ान भरी।
6) डुबकी लगाना:-
बच्चे तरण-ताल में डुबकी लगा रहे हैं।
7) जुनून उतर जाना:-
चुनाव में हार जाने से नेताजी के भाषण का जुनून उतर गया।
प्रश्न 2 निम्नलिखित वाक्यों का भाव विस्तार कीजिए-
अ) जहां हार्दिक संबंध होता है, वहां तर्क की गुंजाइश नहीं रहती।
उत्तर:-जहां हार्दिक संबंध होता है, वहां तर्क की गुंजाइश नहीं रहती। हार्दिक संबंधों में विश्वास का स्थान सर्वोपरि होता है। तर्क करने से विश्वास को ठेस पहुंचती है। इसलिए जहां मधुर एवं प्रगढ संबंध होते हैं, वहां हर बात को बिना किसी तर्क के स्वीकार कर लिया जाता है। प्रगाढ़ संबंध हृदय से उपजते हैं, जबकि तर्क बुद्धि की देन है। बुद्धि में विवेक शक्ति होती है, जिसमें करने या न करने का भाव पाया जाता है। हार्दिक संबंध हृदयगत होने से उनमें विश्वास की प्रमुखता होती है। अतः वे तर्क से कोसों दूर रहते हैं।
ब) इस आसक्ति जनित मोह में उनकी कर्तव्यनिष्ठा को ग्रस लिया और तब उसे तत्वज्ञान याद आया।
उत्तर:-युद्ध क्षेत्र में अर्जुन ने अपने रथ को खड़ा कर दिया। उसने देखा कि दोनों ओर की सेना में उसके अपने ही नाते-रिश्तेदार, सगे- संबंधी सभी युद्ध करने के लिए उद्यत है। अपने स्वजन समूह को देखकर उसके हृदय में उथल-पुथल मचती है और वह अपने कर्तव्य पथ से दूर होने लगता है। इस आसक्ति जनित मोह में अर्जुन अपने कर्तव्य से दूर होने लगा तथा इस समय उसे तत्वज्ञान याद आया। वह अनेक दलीलें देकर युद्ध की बुराइयों की बात कर कृष्ण को ही समझाने लगा।
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