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"Question answer topic - 11”

हिंदी पद्य साहित्य का विकास.      
                     Topic - 1  भक्ति काव्य
 मीरा के पद  -  वंदना
प्रश्न 1 सही विकल्प चुनकर लिखिए-
1) मीरा बाल्यकाल से किस की भक्ति में लीन रहती थी-
उत्तर:- श्रीकृष्ण।
2) मीराबाई ने संसार को किसके समान माना है-
उत्तर:- चिड़िया।
3) गणेश के मुख के दर्शन सदैव कौन करना चाहता है-
उत्तर:- रावण।
4) केशव दास की रचना नहीं है-
उत्तर:-कल्पना।
5) कृष्ण को मथुरा ले जाने आया था-
उत्तर:-अक्रूर।
प्रश्न 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1) गली तो चारों बंद हुई मैं हरी से मिलु कैसे जाइ।
2) सखी री लाज बैरन भई।
3) भज मन चरण कंवल अविनासी
4) बालक मृणालनि ज्यौ तोरि डारै सब काल।
5) 10 मुख मुख जोवे गजमुख मुख को।
प्रश्न 3 सत्य /असत्य लिखिए-
क) रामचंद्रिका के कवि केशवदास है-
उत्तर:-सत्य।
ख) मीरा हरि से मिलना चाहती है।
उत्तर:-सत्य।
ग) रावण राम की वंदना करता है।
उत्तर:-असत्य।
घ) मीरा की भक्ति दास्य भाव की है।
उत्तर:-सत्य।
ड़) केशवदास भक्ति काल के कवि माने जाते हैं।
उत्तर:-असत्य।
प्रश्न 4 जोड़ी बनाइए-
उत्तर:-      ( अ)                                  (ब)
1)         गजमुख              -                गणेश
2)।       दसमुख              -                 रावण 
3)        चतुर्मुख              -                   ब्रह्मा
4)        पंचमुख              -               कार्तिकेय
5)        चतुर्भुज              -                 विष्णु
प्रश्न 5 एक शब्द/ वाक्य में उत्तर दीजिए-
क) मीरा किसे रिझाना चाहती है?
उत्तर:-कृष्ण को।
ख) कृष्ण को मथुरा ले जाने के लिए कौन आया था?
उत्तर:-अक्रूर।
ग)गोपाल के संग मीरा अक्रूर के आने पर क्यों नहीं जा सकी?
उत्तर:-लाज के कारण।
घ) मीरा के प्रभु कौन है?
उत्तर:-कृष्ण।
ड़) चतुर्मुख का अर्थ बताओ?
उत्तर:-ब्रह्मा।
प्रश्न 1) मीरा की भक्ति किस भाव की थी?
उत्तर:-मीरा की भक्ति दापत्य भाव की थी।
प्रश्न 2 मीराबाई कैसा वेश रखना चाहती है?
 उत्तर:-मीराबाई स्वामी कृष्ण की इच्छा के अनुरूप वैरागिण वेश रखना चाहती है।
प्रश्न 3 ''रामचंद्रिका" के रचयिता कौन है?
 उत्तर:-रामचंद्रिका के रचयिता केशवदास है।
प्रश्न 4 गजमुख का मुख कौन देखता है?
 उत्तर:-गजमुख का मुख रावण देखता है।
प्रश्न 1मीरा के अनुसार देह का गर्व क्यों नहीं करना चाहिए? उत्तर:-मीरा के अनुसार देह का गर्व नहीं करना चाहिए, क्योंकि एक दिन इसी देह को मिट्टी में मिल जाना है।
प्रश्न 2 मेरा को हरि से मिलने में क्या- क्या कठिनाइयां है? 
उत्तर:-मीरा को हरि से मिलने में अनेक कठिनाइयां है, सांसारिक रास्ते ऊंचे -नीचे, रपटीले हैं। प्रियतम का महल बहुत ऊंचा है, चढ़ते नहीं बनता। हर कोस पर पहरा बैठा है, जगह-जगह लुटेरे हैं।
प्रश्न 3 भगवान गणेश भक्तों की विपत्तियों को किस प्रकार हर लेते हैं?
 उत्तर:-भगवान गणेश भक्तों की विपत्तियों को उसी प्रकार दूर करते हैं, जिस प्रकार कोई बालक सरलता से कमल नाल को तोड़ देता है। कमलिनी के पत्ते के समान वे विपत्ति को दूर करते हैं।
प्रश्न 4 मां सरस्वती की वंदना कौन कौन करता है?
 उत्तर:-मां सरस्वती की वंदना देवता, प्रसिद्ध- सिद्ध, ऋषिराज, तपोबद्ध आदि करते हैं।
प्रश्न 1 मीरा का संपूर्ण काव्य भाव -विहृलता के गुणों से पूरित है।" सिद्ध कीजिए।
उत्तर:-मीरा का संपूर्ण काव्य भाव- विहृलता के गुणों से पूरित है। वह अपने आराध्य को भावांजलि चढ़ाते थकती नहीं है। भावों में बहकर वह वैराग्य भाव धारण करती है, आराध्य की रूचि के अनुसार वेश धारण करती है। अपने शरीर रूपी कपड़े को गुरु ज्ञान के रंग से रंगती है। हरि के गुणों को गाती रहती है। इतना ही नहीं, उनके चरणों में लिपटना चाहती है।
प्रश्न 2 मीरा अपने मन को ईश्वर के चरण कमलों में ही क्यों लीन रखना चाहती है?
उत्तर:-मीरा अपने मन को ईश्वर के चरण -कमलों में ही लीन रखना चाहती है, क्योंकि चरण- कमलों की भक्ति व्यक्ति को अमर बनाती है। पृथ्वी और आकाश के बीच जितनी भी वस्तुएं हैं, वह सब नश्वर है।
प्रश्न 3 'कठिन क्रूर अक्रूर आयो' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-सारथी अक्रूर कृष्ण को मथुरा ले जाने के लिए आया था। उसके विरह में गोपिकाएं  व्याकुल हो गई तथा अक्रूर को क्रूर कहने में भी नहीं चुकी।
प्रश्न 4 'बानी जगरानी की उदारता' का बखान करना क्यों संभव नहीं है?
उत्तर:-'बानी जगरानी सरस्वती की उदारता' का बखान करना इसलिए संभव नहीं है, क्योंकि उनकी इतनी उदारता है कि देवता, सिद्ध, ऋषिराज, तपोबद्ध भी उनकी उदारता का वर्णन करते -करते हार गए, लेकिन पूरा वर्णन नहीं कर पाए।
प्रश्न 5 श्रीराम वंदना में राम के नाम की क्या महिमा बताई गई है?
उत्तर:-श्रीराम वंदना में कवि ने राम की अनेक महिमा बताई है। श्रीराम पूर्ण है। पुरुष पुराण में भी उन्हें पूर्ण पुरुष बताया गया है। वह दर्शन देते हैं, लेकिन उनके दर्शनिक रूप को कोई नहीं समझ सकता। वेद उन्हें 'नेति -नेति' कहते हैं ।उनका रूप सूक्ष्मता प्रदान करता है, गुण गरिमा प्रदान करता है तथा भक्ति महिमा प्रदान करती है। नाम स्मरण से मानव मुक्ति को प्राप्त होता है।
प्रश्न 6 केशवदास की काव्यगत विशेषताएं लिखिए।
उत्तर:-केशवदास के पदों में भाषिक स्तर पर शब्दालंकारो का सौंदर्य बिखरा हुआ है। आपका कवि रूप आपके प्रबंध और मुक्तक दोनों प्रकार की रचनाओं में स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। मध्यकाल में किसी के पांडित्य की परख की कसौटी केशव की कविता थी। उन्हें 'कठिन काव्य का प्रेत' भी कहा जाता है।
प्रश्न 7 निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
अ) बल्हा में बैरागिण................... साधो संग रहूंगी,हो।
उत्तर:- संदर्भ:- प्रस्तुत पद हमारी पाठ्यपुस्तक के 'मीरा के पद'से अवतरित है। इस पद की रचयिता मीराबाई है।
प्रसंग:- प्रस्तुत पद में मीरा ने कृष्ण के प्रति अपने भक्ति- भाव उजागर किए हैं।
व्याख्या:-मीराबाई कहती है कि है स्वामी! में बैरागी हो जाऊंगी। मुझे संसार से कोई मोह नहीं रहेगा। इस वैराग्य में मेरे स्वामी जिस वेशभूषा से प्रसन्न होंगे, मैं वही वेशभूषा धारण करूंगी। हदय में सदाचरण, संतोष धारण करूंगी और समत्व भाव को छोडूंगी नहीं। जिसे निरंजन कहा जाता है, मैं उसी निरंजन का ध्यान करूंगी। अपने शरीर रूपी कपड़े को गुरु ज्ञान के रंग से रंगुगी। मन के दानों को फिराऊंगी। मैं बड़े ही प्रेम से, प्रीति से हरि के गुणों का गान करूंगी तथा उनके चरणों को पकड़े रहूंगी। यातना का तंतुवाद्य बनाकर जिव्हा से राम -नाम रटती रहूंगी। मीराबाई कहती है कि हे गिरधर नागर! में तो साधु का संग ही करूंगी।
विशेष:-माधुर्य भाव की प्रधानता, ब्रज भाषा का प्रयोग। प्रेम- गीत में अनुप्रास अलंकार।
ब) भज मन चरण .....................................जन्म की फांसी।।
उत्तर:- संदर्भ:-
प्रसंग:-प्रस्तुत पद में मीरा ने कृष्ण के प्रति अपने भक्ति- भाव उजागर किए हैं।
व्याख्या:-मीराबाई अपने मन को समझाते हुए कहती है कि है मेरे मन! तू अविनाशी भगवान कृष्ण के चरण कमलों का स्मरण कर। इन चरणों को छोड़कर पृथ्वी और आकाश के बीच जो भी दिखाई दे रहा है, सब के सब नश्वर है। केवल कृष्ण ही अनश्वर है। तीर्थों पर जाने, व्रत करने एवं काशी में करवत से अपने को मार डालने से कुछ नहीं होगा, मुक्ति नहीं मिलेगी। इस शरीर पर घमंड नहीं करना चाहिए। एक दिन ऐसा आएगा, जब यह माटी में मिल जाएगा। यह संसार तो एक चिड़िया के समान है। संध्या होते ही उड़ जाने को है। जिस प्रकार चिड़िया दिन भर घोसले से बाहर रहती है, संध्या होते ही अपने घोसले में चली जाती है, इसी प्रकार की स्थिति सांसारिक लोगों की है। सभी को एक दिन उस प्रभु के घर जाना है।
मीराबाई कहती है कि भगवा वस्त्र पहनने या घर छोड़कर सन्यासी बन जाने से कुछ नहीं होना है। तुम योगी तो हो गए हो, लेकिन मुक्ति की युक्ति तो तुम्हें आती नहीं। अपितु पुनः जन्म -मरण के चक्र में फिरते रहना है। मीराबाई कहती है कि हे प्रभु! आप इस जन्म-मृत्यु के बंधन को काट दो।
स) बालक मृणालिनी.................... गजमुख -मुख को।।
 उत्तर:-संदर्भ:-प्रस्तुत पद हमारी पाठ्यपुस्तक की 'वंदना' कविता से अवतरित है। इसके कवि श्री केशवदास है।
प्रसंग:-इस पद्य में कवि गणेश की वंदना कर रहा है।
व्याख्या:-कवि कहता है कि जिस प्रकार कोई बालक कमलनाल को आसानी से तोड़ देता है, उसी प्रकार गणेशजी भयानक दीर्घ दुखों को आसानी से दूर कर देते हैं।गणेश कमलिनी के पत्ते के समान विपत्ति को हर लेते हैं। वह बुराई रूपी कीचड़ से शीघ्र निकाल देते हैं। वह कलंक को चंद्रमा के कलंक के समान दूर कर केशवदास के शरीर की रक्षा करते हैं। गणेश के सामने आते ही वे कष्टों की जंजीरों को तोड़ देते हैं। गणेश के मुख के दर्शन रावण सदैव करना चाहता है ‌।
) भावी भूत वर्तमान............…….........….........नई -नई।।
उत्तर:-संदर्भ:-
प्रसंग:-इस पद में कवि सरस्वती की वंदना कर रहा है।
व्याख्या:-कवि कहता है कि संसार भूत, भविष्य, वर्तमान का वर्णन करता है। केशवदास कवि कहते हैं कि वे संसार के लोग उनका बखान क्यों नहीं करते। पति के चार मुख, पुत्र के पांच मुख, नाती के षट मुख हैं। तब भी रूप सदैव नवीन की है।
काव्य सौंदर्य-
प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्दों के हिंदी मानक रूप लिखिए-
सील, पग, जतन, जुग, पात, सीस, ससि, दरसन, पुत, गुन
उत्तर:-   तद्भव                                   तत्सम
            सील                 -                    शील
            जतन                -                    यत्न 
            पात                 -                    पत्र /पता
            दरसन              -                    दर्शन
             गुन                 -                     गुण
             पग                 -                     पैर
            जुग                 -                     युग
           सीस                  -                   शीश 
            पुत                  -                    पुत्र
           ससि                  -                   शशि 
प्रश्न 2 'म्हारो', 'सूं' आदि राजस्थानी शब्दों का प्रयोग मीरा के पदों में हुआ है। ऐसे ही अन्य शब्दों का चयन कर उनका अर्थ लिखिए।
उत्तर:-हुॅ॓गी - होंऊंगी।   ताको- उसका।   बस्यो- बसा है।
       जाको- जिसका।  गुपाल- गोपाल। गरब- गर्व।
प्रश्न 3 निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए-
       रसना, पथ, गगन, देह, जगत, मुख, भव
उत्तर:-  रसना      -     जीहृऻ, जीभ।
            पथ        -     रास्ता, राह
           गगन       -     आकाश, आसमान
           देह         -      शरीर, बदन।
           जगत      -     संसार, विश्व
           मुख        -      मुंह, वदन
           भव        -      संसार, जगत
प्रश्न 4 निम्नलिखित पंक्तियों में अलंकार पहचान कर लिखिए-
क) 'सोच सोच पग धरू जतन से, बार-बार डिग जाइ।'
उत्तर:-पुनरुक्ति प्रकाश।
ख) 'भज मन चरण कमल अविनासी।'
उत्तर:-रूपक अलंकार।
ग) 'बालक मृणालनी ज्यो तोरि डारै सब काल'
उत्तर:-उपमा अलंकार।
घ) 'बिपति हरत हठि पद्मिनी के पाद सम।'
उत्तर:-उपमा अलंकार।
ड़) 'पुरण पुराण अरु पुरुष पुराण परीपुरण।'
 उत्तर:- अनुप्रास अलंकार।
च) 'दरसन देत जिन्हें दरसन समझै न।'
उत्तर:-यमक अलंकार।
प्रश्न 5 रस की परिभाषा लिखिए? एवं रस के अवयव के नाम लिखिए?
उत्तर:-'रसात्मकऺ वाक्य॑ काव्य॑-  रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।
रस के अवयव:-  रस के चार अवयव होते हैं- 1) स्थाई भाव , 2) संचारी भाव , 
3) विभाव:- विभव के दो भेद होते हैं- (क) आलंबन, (ख) उद्दीपन।
4) अनुभाव
प्रश्न 6 केशवदास की संकलित वंदनाओ  में कौन सा रस है?
उत्तर:-शांत रस।
प्रश्न 7 निम्नलिखित पंक्तियों में निहित रस तथा उनके विभिन्न अंगों को समझाइए-
              बानी जगरानी की उदारता बखानी जाइ,
 ऐसी मति उदित उदार कौन की भई।
              देवता प्रसिद्ध सिद्ध रिषिराज तपबृद्ध,
कहीं-कहीं हारे सब कहि न काहू लई।
उत्तर:-इन पंक्तियों में शांत रस है।
स्थायीभाव:- निरवद।
विभाव:- 1) आलंबन - बानी जगरानी।, (2) उद्दीपन

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