Topic - 4
नीति काव्य
(1) अमृतवाणी:-
कवि का नाम-कबीरदास
(2) दोहे:-
कवि का नाम- बिहारीलाल
प्रश्न 1 सही विकल्प चुनकर लिखिए-
(क) अमृतवाणी कविता के रचयिता है-
उत्तर:-कबीरदास।
(ख) कबीर ने शरीर की तुलना की है-
उत्तर:-घड़े से।
(ग)'अति अगाधु अति ओथरो'मैं अलंकार है-
उत्तर:-अनुप्रास।
(घ) स्वाति नक्षत्र की बूंदे केले पर गिरकर बनती है-
उत्तर:-कपूर।
(ड) कबीर के गुरु का नाम है-
उत्तर:-रामानंद।
प्रश्न 2 उचित शब्द से कविता पूर्ण करें।
उत्तर:- (क) नर की अरु नल नीर की, गति एकै करी जोय।
जेतो नीचो है चलै, तेतो ऊचो होय।।
(ख) माटी कहै कुम्हार से, क्या तू रौंदे मोहि।
एक दिन ऐसा होयगा, मैं रौंदोंगी तोहि।।
प्रश्न 3 सही जोड़ी बनाइए-
उत्तर:- (अ) (ब)
(1) साखी - कबीर
(2) सतसई - बिहारी
(3) माटी - कुम्हार
(4) कुसंग - सत्संग
(5) कनक कनक ते सौ गुनी - यमक अलंकार
प्रश्न 4 सत्य /असत्य लिखिए-
(अ) 'साखियां' कबीर ने लिखी है।(✓)
(आ) बिहारी ने अपने दोहों में 'गागर में सागर' भरने का काम किया है।(✓)
(इ)'मच्छी' शब्द 'मत्स्य' का तत्सम रूप है। (×)
(ई) दोहे में 11- 13, 11- 13 मात्राएं होती है।(×)
(उ) सोरठा दोहे का उल्टा होता है। (✓)
प्रश्न 5 एक शब्द /वाक्य में उत्तर लिखिए-
(1) कबीर के गुरु का नाम बताइए।
उत्तर:-रामानंद।
(2) 'उदात' शब्द का विलोम लिखिए।
उत्तर:-अवदात।
(3) बिहारी की एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर:-बिहारी- सतसई।
(4) 'धतूरे' शब्द के दो अर्थ बताइए।
उत्तर:-सोना, एक जहरीला पौधा।
(5) कबीर ने कुसंग के बारे में क्या कहा है?
उत्तर:-कुसंग का फल बुरा होता है।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 कबीर ने किस की संगीत करने के लिए कहा है?
उत्तर:-कबीर ने साधु की संगीत करने को कहा है।
प्रश्न 2 नाव में पानी भर जाने पर सयानो का क्या कर्तव्य है?
उत्तर:-नाव में पानी भर जाने पर उसे दोनों हाथों से उलीचना जाना चाहिए।
प्रश्न 3 कबीर के अनुसार शरीर रूपी घड़े की विशेषताएं बताइए।
उत्तर:-कबीर के अनुसार शरीर रूपी घड़ा कच्चा है। एक धक्के से वह कभी भी फूट सकता है।
प्रश्न 4 बुरे आदमी द्वारा बुराई त्याग देने का खरे व्यक्तियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:-बुरे आदमी द्वारा बुराई त्याग देने का उससे अनिष्ट की आशंका बढ़ जाती है।
प्रश्न 5 बड़प्पन प्राप्त करने के लिए केवल नाम ही काफी नहीं है। यह बात बिहारी ने किस उदाहरण के द्वारा कही है?
उत्तर:-यह बात बिहारी ने निम्न उदाहरण के द्वारा कही है-
"बड़े न हूजे गुननि बिन, बिरद बड़ाई पाय।
कहत धतूरे सो कनक, गहनो गढौ न जाय।।"
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 मिट्टी कुम्हार को क्या सीख देती है?
उत्तर:-मिट्टी कुमार को यह सीख देती है कि एक दिन ऐसा आएगा, जब वह भी उसे अपने में मिला लेगी। एक न एक दिन मनुष्य को माटी में मिलना ही है।
प्रश्न 2 कबीर ने शब्दों की क्या महिमा बताई है?
उत्तर:- शब्दों का आकार नहीं, वह तो निराकार है। मुख से मीठे शब्द निकालने से वह औषधि का काम करते हैं तथा कड़वे वचन बोलने से हदय में गहरा घाव करते हैं, जो बहुत समय तक सालता रहता है।
प्रश्न 3 एक ही वस्तु किसी को सुंदर और किसी को कुरूप क्यों नजर आती है?
उत्तर:-एक ही वस्तु किसी को सुंदर और किसी को कुरुप मन की रूचि के अनुसार नजर आती है। मनुष्य की जैसी रूचि होती है, उसे वस्तु सुंदर या कुरूप दिखाई देती है।
प्रश्न 4 संपत्ति रूपी जल के निरंतर बढ़ने से मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:-संपत्ति रूपी जल के निरंतर बढ़ने से मनरुपी कमल खिल जाता है। मन असंयमित हो जाता है।
प्रश्न 5 क्षणिक आदर प्राप्त कर आत्म प्रशंसारत व्यक्तियों का अंत क्या होता है?
उत्तर:-क्षणिक आदर प्राप्त कर आत्म प्रशंसारत व्यक्तियों का अंत श्राद्ध पक्ष मैं सम्मान प्राप्त कौए के समान होता है। श्राद्ध पक्ष के बाद लोग उसे कर्कश, अपावन कहते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 कबीर कुसंग के दुष्प्रभाव को किन-किन उदाहरणों से स्पष्ट करते हैं, लिखिए।
उत्तर:-कबीर कुसंग के दुष्प्रभाव को अनेक उदाहरणों से स्पष्ट करते हैं-
कबीर संगति साधु की, जो करि जाने कोय।
सकल बिरछ चंदन भये, बांस न चंदन होय।।
कबीर कुसंग न कीजिए, पाथर जल न तिराय।
कदली सीप भुजंग मुख, एक बूंद तिर भाय।।
प्रश्न 2 देहधारी होने के कौन-कौन से गुण हैं?
उत्तर:-देहधारी होने के गुणों मैं सबसे बड़ा गुण तो यह है कि इस देह से दान किया जाता है, जिससे यह शरीर अमर हो जाता है। शरीर अनेक जन्मों के पुण्यफल के परिणाम स्वरूप प्राप्त होता है, अतः दान करते रहे।
प्रश्न 3 'नदिया जल कोयला भई' से कबीर का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:-हमारा शरीर एक नदिया के समान है।इसके विचारों की धाराएं प्रवाहित होती रहती है। साधक इतनी साधना करें कि वह अपने शरीर को होम दे। कबीर ने इसलिए कहा है-'नदिया जल कोयला भई।'
प्रश्न 4 नर और नल की तुलना कर बिहारी क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर:-नर और नल की तुलना कर बिहारी यह कहना चाहते हैं कि मनुष्य जैसे- जैसे नम्र होता जाता है, झुकता है, वैसे-वैसे वह समाज श्रेष्ठ एवं उच्च बनता जाता है। नल जितना नीचे होगा, पानी का प्रवाह उतना ही अधिक गति वाला होगा। अतः ऊंचा बनने के लिए अपने को छोटा बनाओ, नम्र बनाओ।
प्रश्न 5 'सभी समानता में ही शोभा पाते हैं।'बिहारी ने किन उदाहरणों से इस कथन की पुष्टि की है?
उत्तर:-सभी समानता में ही शोभा पाते हैं, बिहारी ने निम्नांकित उदाहरण से इस कथन की पुष्टि की है-
सोहतू सगु सामान सौं, यहैं कहै सबु लोगु।
पान- पिक ओठनु बने, काजर नैननु जोगु।।
प्रश्न 6निम्नलिखित पद्यांश ओ की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(अ) तिल सामान तो....…................ अठारह हाथ।
उत्तर:-संदर्भ:-
प्रस्तुत दोहे हमारी पाठ्यपुस्तक के पाठ 'अमृतवाणी' से लिए गए हैं। इनके कवि कबीर दास जी है।
प्रसंग:-
जीवन रहस्यमय अनुभवों को व्यक्त करने हेतु उलट बासियां वर्णित है।
व्याख्या:-
ईश्वर का स्वरूप तिल समान सूक्ष्म है। उसकी रचना यहां विश्व बहुत विशाल है। लोग उस ईश्वर के स्वरूप को अपने हदय में रखते हैं तथा उसके लंबे हाथों का सहारा प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करते हैं।
(ब) को कहि सकै बडेन......................... वे फूल।
उत्तर:-संदर्भ:-
प्रस्तुत दोहे बिहारी द्वारा रचित 'दोहे' नामक पद्य से लिया गया है।
प्रसंग:-
इनमें नीतिगत बातें वर्णित है।
व्याख्या:-
बिहारी जी कहते हैं कि बड़ों को भूल, भूल नहीं कही जाती है। बड़ों की भूल दिखाई देने पर भी लोग बड़ों को उनकी भूल से अवगत नहीं कराते हैं। ईश्वर ने बेचारे गुलाब का भी क्या भाग्य बनाया है कि उन्हें डाल पर लटका दिया है।
(स) मरतु प्यास पिंजरा........................ की बेर।
उत्तर:-संदर्भ:-
प्रस्तुत दोहे बिहारी द्वारा रचित 'दोहे' नामक पद्य से लिया गया है।
प्रसंग:-
इनमें नीतिगत बातें वर्णित है।
व्याख्या:-
कवि कहते हैं कि समय के फेर से सज्जन भी विपत्ति में पड़ जाते हैं। उदाहरण देते हुए कवि कहते हैं कि समय के फेर के कारण तोता पिंजरे में प्यासा मृतपाय पड़ा है, जबकि कोआ समय के फेर के कारण सम्मान प्राप्त करता है।
(द) अति अगाधु अति.................. जाकी प्यासु बुझाई। उत्तर:-संदर्भ:-
प्रस्तुत दोहे बिहारी द्वारा रचित 'दोहे' नामक पद्य से लिया गया है।
प्रसंग:-
इसमें नीतिगत बातें वर्णित है।
व्याख्या:-
कवि कहता है कि जिस जल से प्यास बुझती है, वही जल महत्वपूर्ण होता है। जैसे समुद्र बहुत गहरा है तथा नदी, कूप, बावड़ी, तालाब आदि कम गहरे है, लेकिन ये ही लोगों की प्यास बुझाते हैं, समुद्र नहीं। अतः नदी, कूप, बावड़ी, तालाब का महत्व समुद्र से अधिक है।
काव्य सौंदर्य
प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्दों के विलोम रूप लिखिए-
कुसंग, अज्ञ, अभ्यस्त, उदात।
उत्तर:-कुसंग - सत्संग
अज्ञ - ज्ञानी/विज्ञ
अभ्यस्त - अनभव्यस्त
उदात - अवदात
प्रश्न 2 निम्नलिखित तद्भव शब्दों को तत्सम में बदलिए-
पाथर,औगुन, सनमानु, मच्छी, काग।
उत्तर:- पाथर - पत्थर
औगुन - अवगुण
सनमानु - सम्मान
मच्छी - मत्स्य
काग - कौआ
प्रश्न 3 निम्नलिखित की मात्राएं गिन कर छंद की पहचान कीजिए-
(1)समै समै सुंदर सबै, रुप कुरुप न कोय।
मन की रुचि जेती जितै, तिन तेती रुचि होय।।
उत्तर:-13 - 11, 11 - 13 मात्राएं - दोहा छंद।
(2) को कहि सकै बडेन सौं, लखै बड़ी यै भूल।
दनि दई गुलाब की, उनि डारनि वे फूल।।
उत्तर:-13 - 11, 11 - 13 मात्राएं- दोहा छंद।
प्रश्न 4 बिहारी के दोहे में से माधुर्य गुणयुक्त दोहे छांट कर लिखिए।
उत्तर:-(1) मरुतु प्यास पिंजरा परियौं, सुआ दिनन के फेर।
आदरु दै दै बोलियतु, बायस बलि की फेर।।
(2) बड़े न हूजे गुननि बिन, बिरद बड़ाई पाय।
कहत धतूरे हों कनक, गहनों गढौ न जाय।।
(3) बढ़त बढ़त संपति- सलिलु, मन सरोजु बढ़िया जाय।
घटत घटत सु न फिरि घटै, बरु समूल कुम्हिलाइ।।
(4) बुरौ बुराई जौ तजै, तौ चित्र खरौ डरातु।
ज्यौ निकलंकु मयंकु लखि, गनै लोग उतपातु।।
(5) दिन दस आदरु पाइकै, करि लै आपु बखानु।
जौ लगि काग! सराधपखु, तौ लगि तौ सनमानु।।
प्रश्न 5 निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार छांट कर लिखिए-
अति अगाधु अति औथरो, नदी, कूप,बरु,बाइ।
सौ ताकौं, सागरु, जहां जाकी, प्यासु बुझाई।
उत्तर:-अनुप्रास अलंकार।
प्रश्न 6"कबीर की साखियां में उलटबासियों का प्रयोग हुआ है।"इस कथन की पुष्टि हेतु उदाहरण दीजिए।
उत्तर:- नदिया जल कोयला भई, समुंदर लगी आग।
मच्छी बिरछा चली गई, उठ कबीरा जाग।।
तिल सामान तो गाय है, बछड़ा नौ- नौ हाथ।
मटकी भरि- भरि दुहि लिया, पूंछ अठारह हाथ।।
प्रश्न 7 यमक तथा श्लेष अलंकार के उदाहरण लिखिए।
उत्तर: यमक:-
जहां शब्दों या वाक्यांशों की आवृत्ति एक या एक से अधिक बार होती है, किंतु उनके अर्थ भिन्न- भिन्न होते हैं, वहां यमक अलंकार होता है।
उदाहरण:-
देह धरे का गुन यही, देह, देह कछु देह।
बहुरी न देहि पाइए, अबकी देह सुदेह।।
श्लेष अलंकार:-
जहां एक ही बार प्रयुक्त हुए शब्दों से एक ही स्थान पर दो या दो से अधिक अर्थ निकलते हैं, वहां श्लेष अलंकार होता है।
उदाहरण:-
'जे रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो करें, बढै अंधेरो होय।।'
प्रश्न 8 व्याज स्तुति तथा ब्याज निंदा अलंकार में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-जब कथन में देखने और सुनने पर निंदा- सी जान पड़े, किंतु वास्तव में प्रशंसा हो, वहां व्याजस्तुति अलंकार होता है। इसके विपरीत जहां कथन में स्तुति का आभास हो, किंतु वास्तव में निंदा हो, वहां ब्याजनिंदा अलंकार होता है।
उदाहरण:-
व्याजस्तुति:-गंगा क्यों टेढ़ी चलती हो, दुष्टो को शिव कर देती हो।
व्यासनिंदा:- राम साधु, तुम साधु सुजान। राम मातु भलि मै पहचाना।।
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