Topic -3
प्रेम और सौंदर्य
1) घनानंद के पद:-
कवि का नाम- घनानंद
2) उद्धव- प्रसंग:-
कवि का नाम- जगन्नाथ दास 'रत्नाकर'
प्रश्न 1 सही विकल्प चुनकर लिखिए-
(1) वियोग श्रृंगार के कवि है-
उत्तर:-घनानंद।
(2) उद्धव गोपियों को क्या सिखाने आए थे-
उत्तर:-योग।
(3) 'पद कंजनि के पंजनी पै' मैं अलंकार है-
उत्तर:-रूपक।
(4) चातक पक्षी कौन- से नक्षत्र का जल पीता है-
उत्तर:-स्वाति।
(5) घनानंद को प्रिय है-
उत्तर:-सुजान।
प्रश्न 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(1) आए हौं सिखावन कौ जोग मथुरा ते तोपे।
(2) तिरछे करि नैननि नेह चाव में।
(3)कारी कूरी कोकिल! कहां को बैर काढति री।
(4) घनानंद का प्रेम अनुभूति परक है।
(5)'मन मुकुर' मैं रूपक अलंकार है।
प्रश्न 3 सत्य /असत्य लिखिए-
1)'उद्धव प्रसंग'के कवि घनानंद है।
उत्तर:-असत्य।
2) सुदामा मथुरा में गोपियों को योग सिखाने गए थे।
उत्तर:-असत्य।
3) घनानंद के छंदों में प्रियतम के लिए 'सूजान' शब्द आया है।
उत्तर:-सत्य।
4) 'मोहन मूरति देखिबे को' मैं अनुप्रास अलंकार है।
उत्तर:-सत्य।
5) गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा मनोयोग से ली।
उत्तर:-असत्य।
प्रश्न 4 सही जोड़ी बनाइए-
उत्तर:- (अ) (ब)
(क) कारी कूरि - कोयल
(ख) उद्धव- शतक - रत्नाकर
(ग) उद्धव - कृष्ण
(घ) तरसावत हौ बसी - एक ही गांव में
(ड) तीर - किनारा
प्रश्न 5 एक शब्द /वाक्य में उत्तर लिखिए-
(क) रत्नाकर की एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर:-उद्धव शतक।
(ख)रामचंद्र शुक्ल के अनुसार रीतिमुक्त काव्यधारा का श्रेष्ठ कवि कौन है?
उत्तर:-घनानंद।
(ग)योग की बातें करने पर गोपियों ने उद्धव से क्या कहा?
उत्तर:-वियोग की बातें न करें।
(घ) घनानंद के संकलित पदों में कौन- सा रस है?
उत्तर:-श्रंगार रस।
(ड)'कारी, कूरि कोकिल' में कौन- सा अलंकार है?
उत्तर:-अनुप्रास अलंकार।
अति लघु प्रश्न-
प्रश्न 1 चातक को घातक क्यों कहा गया है?
उत्तर:-चातक 'पिहु- पिहु' का कहकर विरहणी नायिका के विरह को और बढ़ा रहा है।
प्रश्न 2 विश्वास में विष घोलने का काम किसने किया है?
उत्तर:-विश्वास में विष घोलने का काम सुजान ने किया है।
प्रश्न 3 मथुरा में योग सिखाने कौन गए थे?
उत्तर:-मथुरा में योग सिखाने उद्धव गए थे।
प्रश्न 4 नंद के आंगन में गोपिया क्यों एकत्र हुई?
उत्तर:-नंद के आंगन में गोपिया उद्धव के दर्शन करने को एकत्रित हुई थी।
प्रश्न 5 कुटीर कौन- सी नदी के किनारे बनाने की बात कही गई है?
उत्तर:-कुटीर यमुना नदी के किनारे बनाने की बात कही गई है।
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 'तिरछे करि नैननि नेह के चाव मैं' का आशय स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:-इस पंक्ति में नायिका का नायक के प्रति प्रेम का वर्णन किया है। प्रेम की भाषा का एक माध्यम इशारा या संकेत भी है। नायक के द्वारा तिरछी आंखों से जो प्रेम अथवा मोह परिलक्षित होता है, उसे ही नायिका बार-बार याद करती है। नेत्रों का तिरछे होना सौंदर्य को बढ़ाता है। इससे ही नायिका मोहित हो जाती है।
प्रश्न 2 घनानंद सूजन को क्या उलाहना देते हैं?
उत्तर:-घनानंद सूजन को उलाहना देते हुए कहते हैं कि हे सुजान! तुम कौन- सी पट्टी पढी, जो मन तो ले लिया, लेकिन अपनी छटा के दर्शन हमें नहीं कराए।
प्रश्न 3 रत्नाकर की गोपियों के मन में कौन बसा है? उनके विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-रत्नाकर की गोपियों के मन में कृष्ण बसा है। उनके मन रूपी दर्पण में कृष्ण का निवास है। यदि उद्धव के योग के पत्थर के समान वचन चूक गए, तो उनका मनरूपी दर्पण टुकड़े- टुकड़े हो जाएगा। अभी तो एक ही कृष्ण था। टुकड़े होने पर मन में अनेक कृष्ण विराजमान हो जाएंगे।
प्रश्न 4 रत्नाकर के अनुसार गोपी- ग्वालबालों की मनोदशा को समझाइए।
उत्तर:-रत्नाकर के अनुसार गोपी, ग्वालबाल सभी कृष्ण के वियोग में रो रहे हैं। उनके आंसू ऐसे आए हैं, मानव प्रलय का आगमन हुआ हो।
प्रश्न 5 उद्धव के ब्रज आगमन की गोपियों पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:-उद्धव के ब्रज आगमन की सूचना प्राप्त कर गोपियां झुंड बनाकर, दौड़- दौड़ कर नंद बाबा के आंगन की ओर जाने लगी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1संकलित कविता के आधार पर "प्रेम और सौंदर्य'' पर घनानंद के विचार लिखिए।
उत्तर:-घनानंद का प्रेम अनुभूतिपरक है। प्रिया की स्मृतियों का भावना- ग्राही रूप उनके काव्य का प्राण- केंद्र है। प्रस्तुत पदों में वे प्रेम के स्वरूप की चर्चा करते हैं। वे मानते हैं कि प्रेम सच्चे हृदय से ही किया जाता है। वह बार-बार उसके रूप को, चेष्टाओ को और उसके स्वभाव को याद करते हैं। प्रिय द्वारा किए गए उपेक्षा- भाव की चर्चा करते हुए वे प्राकृतिक उपादानों के रूप में कोयल, वर्षा और बादलों को उद्दीपको की तरह चित्रित करते हैं।
प्रश्न 2 निम्नलिखित अंशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(अ) पहिले अपनाय सूजन सनेह सौं,
क्यों फिर नेह कै तोरियै जू।
निरधार आधार है धार मंझार,
दई, गहि बांह न बोरियै जू।
उत्तर:-कवि प्रभु से कहते हैं कि हे प्रियतम! पहले तो तुमने बड़े स्नेह से मुझे अपनाया, फिर अब यह प्रेम क्यों तोड़ रहे हो? इस मझधार में तुम ही भी मेरे आधार हो। मुझे निराधार मत करो। धारा के मध्य में मुझे अकेला मत छोड़ो। एक बार बांह पकड़कर अब मुझे मत डुबाओ।
(ब) आए हौं सिखावन कौं जोग मथुरा तैं तोपैं,
ऊधो ये वियोग के बचन बतरावौ ना।
कहैं 'रत्नाकर' दया करि दरस दीन्यौ,
दुख दरिबै कौ, तोपै अधिक बढावौ ना।
उत्तर:-निर्गुण की शिक्षा देने पर गोपिया परेशान हो गई। वे अपने तर्क से उद्धव को भली बुरी बातें सुनाती है। वे कहती है कि हे उद्धव! तुम मथुरा से योग की बातें सिखाने आए हो, तो आप के योग की बातें हमारे लिए तो वियोग है। अतः वियोग की बातें हमारे समक्ष मत करो। गोपिया कहती है कि हम पर दया करो, अपने दर्शनशास्त्र की बातें सुनकर हमारे दुख को और मत बढ़ाओ।
प्रश्न 3 घनानंद को 'प्रेम का पीर' कहना कहां तक उचित है?
उत्तर:-घनानंद को 'प्रेम का पीर' कहा गया है। उनका समस्त काव्य 'सुजान' के माध्यम से प्रेम की परिणति पर पहुंचता है। उनका प्रेम अनुभूतिपरक है। नायिका, नायक से मिलने के लिए व्याकुल है। विरह में उसे कोयल, मोर, चातक की मधुर आवाज भी कर्कश सुनाई देती है।वह दुख की चरम स्थिति में अपने प्रियतम के प्रति उलहाना तक दे देती है।
"तुम कौन- सी पाटी पढ़ी हो, लला।
मन लेतू पै देहु छटांक नहीं।।"
संक्षेप मे विरह काव्य वेदना का काव्य होता है, जिसे 'घनानंद के पद' में अच्छी तरह देखा जा सकता है। उनके प्रेम की पीड़ा में भी एक तरह की मिठास है, प्रियतम के मिलन की उत्कृष्ट आशा है।
प्रश्न 4 'उद्धव शतक' के आधार पर सिद्ध कीजिए कि 'रत्नाकर' को मार्मिक स्थलों की भली-भांति पहचान है।
उत्तर:-रत्नाकर को मार्मिक स्थलों की भली-भांति पहचान है। वैसे रत्नाकर ने वियोग श्रृंगार को अपने काव्य का आधार बनाया है। कृष्ण और गोपियों के प्रेम का भावनामय वर्णन उन्होंने किया है। गोपियों में कृष्ण द्वारा लिखे गए पत्र को पढ़ने की आतुरता, उनकी विरह विगलित मनोदशा, उनका कृष्ण के प्रति अतिशय समर्पण का भाव आदि कुछ ऐसे प्रसंग है, जो मर्म तक पहुंचते हैं।
उदाहरण:- एक मन मोहन तो बसिकै उजारयौं मोहिं।
हिय में अनेक मनमोहन बसावौ ना।।
काव्य सौंदर्य
प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए-
नेत्र, मार्ग, आनंद, दया, कठोर।
उत्तर:- नेत्र - चक्षु, आंख
मार्ग - रास्ता, राह
आनंद। - खुशी, प्रसन्नता
दया। - करुणा, राह
कठोर। - कड़ा, मजबूत
प्रश्न 2 घनानंद के संकलित छंदों में कौन- सा रस है?
उत्तर:-श्रंगार रस।
प्रश्न 3 रत्नाकर की भाषा के संबंध में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:-रत्नाकर द्वारा लिखे गए साहित्यिक, ऐतिहासिक लेखो, मौलिक कविताओं की रचना और महत्वपूर्ण ग्रंथों के संपादन में उनके गंभीर अध्ययन, मौलिक प्रतिभा और सूक्ष्म अंतर्दृष्टि का पता चलता है। वैसे रत्नाकर की भाषा हिंदी है, लेकिन आगे चलकर वे ब्रज भाषा में कविता करने लगे। कविता की अभिव्यक्ति आत्मनिष्ठ है। रत्नाकर के पदों में शब्दालंकार के साथ रूपक और प्रतीकों का भी प्रयोग मिलता है। उनकी कविता में प्रेम की अनुभूतियों का लोकतर पक्ष प्राप्त होता है। संक्षेप में रत्नाकर की भाषा सरल, सहज और भाव के अनुकूल है। चित्रात्मकता उनकी भाषा की विशेषता है।
प्रश्न 4 निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में अलंकार पहचान कर लिखिए-
अ.) निरधार आधार है धार मझांर।
उत्तर:-विरोधाभास, अनुप्रास।
(ब)हिय में अनेक मनमोहन बसावौ ना।
उत्तर:-अनुप्रास।
(स)टूक-टूक है है मन-मुकुर हमारौ हाय।
उत्तर:-पुनरुक्ति प्रकाश, रूपक।
(द) एक मनमोहक तो बसिकै उजारयौं मोहिं।
उत्तर:-विरोधाभास, अनुप्रास।
(ड)उझकि-उझकि पद-कंजनि के पंजनि पैं।
उत्तर:-पुनरुक्ति प्रकाश, रूपक।
प्रश्न 5 छप्पय किन मात्रिक छंदों के योग से बनता है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- छप्पय:-इस मात्रिक छंद में 6 चरण होते हैं। इसके प्रथम चार चरण रोला और दो चरण उल्लाला के होते हैं। रोला के प्रत्येक चरण में 11- 13 कि यति पर 24 मात्राएं और उल्लाला के हर चरण में 15 से 13 कि यति पर 28 मात्राएं होती है।
उदाहरण:- (1)नीलांबर परिधान हरित पट पर सुंदर है,
सूर्य चंद्र युग- मुकट मेखला रत्नाकर है,
नदिया प्रेम- प्रवाह फुल तारे मंडल है।
बंदीजन खग- वृंद शेष फन सिहासन है।
उत्तर:-रोला छंद
(2) करतो अभिषेक पयोद है बलिहारी इस वेश की,
हे मातृभूमि! तू सत्य ही, सगुण मूर्ति सर्वेश की।
यह छंद रोला और उल्लाला के सहयोग से बनता है।
उत्तर:-उल्लाला छंद।
रोला + उल्लाला = छप्पय।
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