Topic - 6
शौर्य और देश प्रेम
(1) अरे तुम हो काल के भी काल:-
कवि का नाम:- बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'
(2) राष्ट्र के श्रंगार! :-
कवि का नाम:- श्रीकृष्ण सरल
प्रश्न 1 सही विकल्प चुनकर लिखिए-
(क) 'विजय' किसकी दासी है-
उत्तर:-युवाओं की।
(ख) 'राष्ट्र के श्रंगार' कविता के कवि हैं-
उत्तर:-श्रीकृष्ण सरल।
(ग) 'सिंह' किसका प्रतीक है-
उत्तर:-शक्ति।
(घ)बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' की निम्न में से कौन- सी रचना नहीं है-
उत्तर:-मुक्तिगान।
(ड) आजादी की इस.......... को कोई 'स्यार न खा जाए'-
उत्तर:-खेती।
प्रश्न 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(1) तुम युवक हो काल को भी काल से दिखते रहे हो।
(2) वह जवानी जो कि जीना और मरना जानती है।
(3) क्या बिगाड़ेगा तुम्हारा यह क्षणिक आतंक।
(4) दहकते बलिदान के अंगार कजलाने न देना।
(5) देश के भूगोल पर जब भेड़िये ललचा रहे हो।
प्रश्न 3 सत्य/ असत्य लिखिए-
(क) कवि 'नवीन' ने भारतीय युवाओं को काल के भी काल कहा है।(✓)
(ख) 'सिंह शक्ति' का प्रतीक है।(✓)
(ग)ध्वंस से ही सृजन की संभावना प्रकट होती है।(✓)
(घ) कवि 'नवीन' रितिकालीन ऊर्जावान कवि है।(×)
(ड)श्रीकृष्ण 'सरल' ने श्रंगार की ही कविताएं लिखी है।(×)
प्रश्न 4 सही जोड़ी बनाइए-
उत्तर: - (अ) (ब)
(क) राष्ट्र के श्रंगार - श्रीकृष्ण 'सरल'
(ख) 'अरे' तुम हो काल के भी काल - 'नवीन'
(ग) क्रोध - भुडोल
(घ) सिंह - शक्ति
(ड) नवयुवक - काल के भी काल
प्रश्न 5 एक शब्द/ वाक्य में उत्तर लिखिए-
(1) 'अरे' तुम हो काल के भी काल' के कवि कौन है? उत्तर:-बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'।
(2) राष्ट्र के श्रंगार कौन है?
उत्तर:-नवयुवक।
(3) 'निर्माण' शब्द का विलोम शब्द लिखें।
उत्तर:-विध्वंस।
(4) कवि सरल, किस प्रकार के कवि है?
उत्तर:-क्रांति और राष्ट्रीयता के कवि।
(5) 'चिर चेतना के तीर' कौन चलाते हैं?
उत्तर:-भारतीय युवक।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 पं. बालकृष्ण शर्मा नवीन ने कविता में किसका आह्वान किया है?
उत्तर:- पंडित बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' ने कविता में नवयुवकों का आह्वान किया है।
प्रश्न 2 "क्षणिक आतंक" से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:-क्षणिक आतंक से तात्पर्य कुछ समय के आतंक से है।
प्रश्न 3 "नीव के पत्थर" से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:-'नीव के पत्थर'से तात्पर्य उन शहीदों से है,जो बिना प्रसिद्ध हुए देश की आजादी के लिए कुर्बान हो गए।
प्रश्न 4 किस धरोहर को हाथ से न जाने देने की बात कही गई है?
उत्तर:-आजादी रूपी धरोहर को हाथ से न जाने देने की बात कही गई है।
प्रश्न 5"देश की समृद्धि की प्रबल आशा"से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:-राष्ट्र को पूरी उम्मीद है कि नवयुवक देश को समृद्धशाली बना देंगे।
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1कवि ने भारतीय स्वर्णिम इतिहास के किन अंशों का उल्लेख कर युवाओं को प्रेरित किया है?
उत्तर:-कवि ने भारतीय स्वर्णिम इतिहास के इन अंशों का उल्लेख किया है-
देश की आजादी हमें बहुत बलिदानों के बाद मिली है। आजादी के बाद की हर कली शहीदों के रक्त को पीकर खिली है। वह शहीद जो नींव के पत्थर है, जो दीवारों के नीचे गड गए, उनकी छाती पर हमारे महल खड़े हैं।
प्रश्न 2 भारतीय युवकों का क्रोध किस प्रकार का बताया गया है?
उत्तर:-भारतीय युवक अपने क्रोध से देश में भूकंप ला सकते हैं। उसके क्रोध से पृथ्वी और आकाश कांपने लगते हैं। नाश की ज्वालाएं गगन मंडल के बीच उठने लगती है।
प्रश्न 3 "तुम चलाते हो सदा चिर चेतना के तीर" - का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- 'तुम चलाते हो सदा चिर चेतना के तीर' इस पंक्ति का आशय यह है कि नवयुवक का एकमात्र लक्ष्य होता है- देश में चेतना शक्ति का संचार करना। नव युवकों से ही देश में चेतना आती है।
प्रश्न 4 वतन के लाडलो से क्या अपेक्षा की गई है?
उत्तर:-वतन के लाडलो से अनेक अपेक्षाएं की गई है यथा उन्हें आजादी की रक्षा करनी है। देश की स्वाधीनता पर आच आने न देना है। यदि देश में शत्रु आ जाए, तो उनकी गर्दन मरोड़कर उन्हें भगा देना है, आदि।
प्रश्न 5 "दांव पर गौरव लगे तो शीश दे देना विहंस कर"- पंक्ति से कवि ने क्या भाव व्यक्त किया है?
उत्तर:-कवि कहता है कि यदि देश का गौरव दांव पर लग जाए, अर्थात देश की शान को खतरा पैदा हो जाए, तो इस गौरव की रक्षा के लिए यदि जान भी देना पड़े, शीश भी काटना पड़े, तो उन्हें सहर्ष तैयार रहना चाहिए।
प्रश्न 6"समय की शिला पर चिहृ छोड़ने" यह पंक्ति किस संदर्भ में कही गई है?
उत्तर :- 'समय की शिला पर चिहृ छोड़ने'की बात जवानी के संदर्भ में कही गई है।भारतीय जवानी मौत के सभी खेल खेलना जानती है। वह नाश को भी निर्माण में बदलने की ताकत रखती है। भारतीय युवक ऐसे कार्य कर जाते हैं, जिन्हें देश युगो- युगो तक याद रखता है तथा उनके पद चिन्हों पर चलता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 कवि नवीन ने भारतीय युवाओं को "काल के भी काल" क्यों कहा है?
उत्तर:-कवि 'नवीन' ने भारतीय युवाओं को 'काल के भी काल' इसलिए कहा है, क्योंकि उनकी असीम शक्ति मौत को भी लौटाने की ताकत रखती है। काल उनको खा नहीं सकता। उनके पास काल का धनुष है, धनुष की डोर दिशाएं हैं तथा वे सदैव चिर- चेतना के तीर चलाते हैं। अतः पर कोई विजय प्राप्त नहीं कर सकता। काल भी उन्हें काल समझता है।
प्रश्न 2 "औ, पधारेगा सृजन कर अग्नि में सुस्नान"के द्वारा कवि के किस दृष्टिकोण का पता चलता है?
उत्तर:-इस पंक्ति के द्वारा कवि का दृष्टिकोण यह है कि भारतीय युवक अपने क्रोध से सब कुछ बदलने की ताकत रखता है,वह असामाजिक नीच प्रथाओं को समाप्त करता है। इस प्रकार वह क्रोधाग्नि से राष्ट्र में नया सृजन ला सकता है।
प्रश्न 3 कवि सरल ने युवाओं का आह्ववान किस हेतु किया है?
उत्तर:-कवि ने युवाओं का आह्वान देश की आजादी की रक्षा करने के लिए किया है। देश को आजादी सरलता से प्राप्त नहीं हुई, इसके लिए अनेक शहीदों को अपना रक्त बहाना पड़ा। देश के गौरव पर आंच न आने पाए, देश में यदि कोई शत्रु आने का प्रयास करें, तो उसे समाप्त करना है। संक्षेप में नव युवकों को देश की रक्षा करनी है। उसे उन्नति के शिखर पर ले जाना है।
प्रश्न 4"सिंह" और "स्यार"किसे और किस संदर्भ में कहा है?
उत्तर"-भारतीय युवकों की शक्ति को "सिंह'की संज्ञा दी है। शत्रु को 'स्यार' कहा गया है। भारत को आजादी सिंहों (वीरों) द्वारा प्राप्त हुई है। आजादी की इस खेती को कोई सरकार (दुश्मन) न खा जाए। इसलिए कवि नव युवकों का आह्वान कर रहा है कि कोई शत्रु देश की सीमा में प्रवेश न कर पाए।
प्रश्न 5 निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(1) काल का तव धनुष................ सृजन-नाश- हिलोर।
उत्तर:- संदर्भ:-
प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक की कविता 'अरे तुम हो काल के भी काल' से अवतरित है। इनके कवि श्री बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' है।
प्रसंग:-
इन पंक्तियों में कवि ने देश के नव युवकों को उनके साहस और दृढ़ निश्चय से परिचित कराया है।
व्याख्या:-
काल तुम तक आने की हिम्मत नहीं कर सकता है। तुम्हारा धनुष काल का है, धनुष की डोर दिशाएं हैं।तुम्हारे धनुष के कंपन से सृजन और नाश की हिलोरे हिलती है।
(2) यह निपट आतंक................... अभयता के स्त्रोत।
उत्तर:-संदर्भ:-प्रसंग:-
पूर्ववत।
व्याख्या:-
कवि कहता है कि तुम्हारे कारण यह आतंक भी भयभीत है। तुम तो चिरन्तन अभयता के स्त्रोत हो।
(3) तुम न समझो.................... पीकर ही खिली है।
उत्तर:-संदर्भ:-
प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठयपुस्तक की कविता "राष्ट्र के श्रृंगार" से ली गई है। इनके कवि श्रीकृष्ण 'सरल' है।
प्रसंग:-
नवयुवकों को देश की संस्कृति और देश की रक्षा के दायित्व से अपनी कराया है।
व्याख्या:-
कवि कहता है कि हमें आजादी सरलता से प्राप्त नहीं हुई है। आजादी के बाग की हर कली शहीदों के रक्त से खिली है।
(4) जो विरासत में मिला..................... खाने न देना।
उत्तर:-संदर्भ:-प्रसंग:-
पुर्ववत।
व्याख्या:-
विरासत में मिला आजादी का यह रक्त तुमसे एक बात कह रहा है कि आजादी शेर सदृश वीरों से प्राप्त हुईं। आजादी की इस खेती को कोई स्यार (दुश्मन) का न जाए।
प्रश्न 6 "श्रीकृष्ण सरल राष्ट्रीय विचारधारा के कवि है।"संकलित कविता के आधार पर इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:-श्रीकृष्ण सरल राष्ट्रीय विचारधारा के कवि हैं। उन्हें आधुनिक युग के ऊर्जावान कवि कहा जा सकता है। उनके काव्य में विप्लव की हुंकार प्राप्त होती है। वे अपने आक्रोश को प्रकट करने के लिए अपनी एक भाषा गढते हैं। उनके ओजस्वी काव्य से शौर्य की अग्नि कणिकाएं झरती प्रतीत होती है। राष्ट्र की रक्षा, राष्ट्र की उन्नति के लिए वे सदैव नवयुवकों का आह्वान करते हैं।
काव्य सौंदर्य-
प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-
विजय, स्वाधीनता, सम्मान, निर्माण, देशद्रोही।
उत्तर:- विजय - पराजय
स्वाधीनता - पराधीनता
सम्मान - अपमान
निर्माण - विध्वंस
देशद्रोही - देशप्रेमी
प्रश्न 2 दिए हुए शब्दों के दो दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
पर्वत, खून, आग🔥, बाग।
उत्तर:- पर्वत - पहाड़, नग
खून - रक्त, लहू
आग - अग्नि, पावक
बाग - बगीचा, वाटिका।
प्रश्न 3 अलंकार छटकर लिखिए-
(क) क्या करेगा यह विचारा तनिक- सा अवरोध?
उत्तर:-उपमा।
(ख) अरे? तुम हो काल के भी काल।
उत्तर:-अनुप्रास।
(ग) देश का कल्याण गहरी सिसकियां जब भर रहा हो।
उत्तर:-अनुप्रास।
प्रश्न 4 निम्नलिखित पंक्तियों में कौन सा रस है? पहचान कर लिखिए-
तुम प्रबल दिक काल-धनु-धारी सुधन्वा वीर
तुम चलाते हो सदा चिर चेतना के तीर!
उत्तर:-वीर रस।
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