Topic - 8
जीवन- दर्शन
(1) देखो मालिन, मुझे न तोड़ो:- कवि का नाम- शिवमंगल सिंह 'सुमन'
(2) बढ़ सिपाही:-
कवि का नाम-विष्णु कांतशास्त्री
प्रश्न 1 सही विकल्प चुनकर लिखिए-
(क)'देखो मालिन मुझे ना तोड़ो' के रचयिता है-
उत्तर:-शिवमंगल सिंह 'सुमन'।
(ख)"हदय तुम्हारा सा ही मेरा, इसको यों न मरोडों।"मे रस है-
उत्तर:-करुण।
(ग) निम्न में से कौन- सा तद्भव शब्द है-
उत्तर:-बादल।
(घ) विष्णुकांत शास्त्री की रचना है-
उत्तर:-बढ़ सिपाही।
(ड)विजय पथ पर बढ़ सिपाही विजय तेरी है सुनिश्चित, कहा है-
उत्तर:-विष्णुकांत शास्त्री।
प्रश्न 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(1) काल अभिनंदन करेगा आज तेरा।
(2) दोनों तन- मन से कोमल है।
(3) विजय पथ पर बढ़ सिपाही।
(4) आओ क्षणभर हस खिल मिल ले।
प्रश्न 3 सत्य/ असत्य लिखिए-
(1)'बढ सिपाही' कविता के कवि विष्णु कांत शास्त्री है।(✓)
(2) 'सृष्टि' तद्भव शब्द है। (×)
(3)'फूल'का तत्सम रूप 'सुमन' है।(×)
(4)गगन मौन भाव से सिपाही के गर्व की कहानी कहेगा(×)
(5)फूल और मालिन दोनों में योवन है, आकर्षण है।(✓)
प्रश्न 4 सही जोड़ी बनाइए-
उत्तर:- (अ) (ब)
विजय - पराजय
आकर्षण - विकर्षण
फूल - शूल
आदर - अनादर
कोमल - कठोर।
प्रश्न 5 एक शब्द/ वाक्य में उत्तर लिखिए-
(क) 'देखो मालिन, मुझे न तोड़ो' के कवि कौन है?
उत्तर:-शिवमंगल सिंह 'सुमन'।
(ख)'हंस - हंस में कौन- सा अलंकार है?
उत्तर:-पुनरुक्ति प्रकाश।
(ग)'विजय- पथ' पर किसे बढ़ना है?
उत्तर:-सिपाही।
(घ) वक्ष पर पद चिन्ह कौन लेगी?
उत्तर:-धरती।
(ड) मालिन से पुष्प क्या कहता है?
उत्तर:-उसे न तोड़ने के लिए कहता है।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1'जगती के मधुबन'मैं पुराने साथी कौन-कौन है?
उत्तर:-'जगती के मधुबन' में पुराने साथी फुल तथा मालिन (कवि- चेतना) है।
प्रश्न 2 'फूल और मालिन'दोनों कब मुरझा जाएंगे?
उत्तर:-फूल और मालिन दोनों आने वाले समय में मुरझा जाएंगे।
प्रश्न 3 'विध्न बाधाएं' कब मार्ग छोड़ती है?
उत्तर:-जब युवक त्यागमय इतिहास को लिखता है, विजय-पथ पर बढ़ता जाता है तो विध्न-बाधाएं अपना मार्ग छोड़ देती है।
प्रश्न 4 'बन उन्ही सा' पंक्ति के माध्यम से कवि किसके समान बनने की बात कर रहा है?
उत्तर:-इस पंक्ति के माध्यम से कवि उन लोगों के समान बनने की बात कर रहा है, जिनके चरण सदैव विजय-पथ पर बड़े हैं तथा जो आपदाओं को तुच्छ मानते हुए उन पर विजय प्राप्त करते हैं, धर्म का पालन करते हैं।
प्रश्न 5 कवि किस बात की शपथ लेने की याद दिलाता है? उत्तर:-कवि इस बात की शपथ लेने की याद दिलाता है कि वह आगे बढ़कर पीछे न हटे।
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 "हदय तुम्हारा सा ही मेरा, इसको यों न मरोडो" - इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-इस पंक्ति का आशय यह है कि फूल और मालिन दोनों के हदय कोमल है। जब संसार उसे तोड़ता है, तो वह हंसते- हंसते रो पड़ता है। लेकिन जब मालिन उसे तोड़ने को हाथ ऊपर करती है, तो वहा सुध- बुध खो देता हैं।
प्रश्न 2 फूल मालिन से, न तोड़ने की प्रार्थना क्यों कर रहा है?
उत्तर:-फुल मालिन से, न तोड़ने की प्रार्थना इसलिए कर रहा है, क्योंकि दोनों तन- मन से कोमल है।क्षणभंगुर जीवन में उसे वैसे भी मुरझाना ही है। अतः आज वह खिल रहा है, उससे खिलने दो। वह कहता है कि दोनों का हदय एक- सा है, उसे इस प्रकार मत मरोड़ो।
प्रश्न 3 'पुरानी धरती'से कवि का क्या आशय है?
उत्तर:-'पुरानी धरती'से तात्पर्य है-नाश की भूमि। नाश की भूमि पर नव निर्माण की गाथा लिखने का साहस भी नवयुवक के बढ़ते कदमों को है। जब तक इस धरती पर नया निर्माण नहीं होता, धरती पुरानी ही है। नवयुवक विजय पथ पर अपने चरण रखेंगे, भूमि नवीन होकर अपने वक्ष स्थल पर उनके चरणों को धारण करेंगी।
प्रश्न 4 'त्यागमय इतिहास' कहकर कवि क्या भाव व्यक्त करना चाहता है?
उत्तर:-त्यागमय इतिहास कहकर कवि यह कहना चाहता है कि नवयुवक विजय पथ पर चलते हुए नव निर्माण करें। यह तभी संभव है, जब वह त्याग करें। नवयुवक को त्याग-बलिदान का नया इतिहास रचना है।
प्रश्न 5 विजय कब सुनिश्चित होती है?
उत्तर:-जब युवक आत्म बल से विजय पथ पर आगे बढ़ता है तथा जब उसे विजय का विश्वास होता है, तब उसकी विजय सुनिश्चित होती है। जो आपदाओं को तुच्छ समझ उन पर विजय प्राप्त करता है, जो धर्म पथ पर अडिंग रहता है, जो बिगड़ी परिस्थिति को बदल देता है, जो निडर हो जय- गीत गाता है, उसकी विजय सुनिश्चित होती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1संकलित कविता के आधार पर सुमन जी के दर्शनिक विचार लिखिए।
उत्तर:-इस कविता में सुमन जी जीवन और फूल को एक समान स्वीकार करते हैं। जीवन जैसे एक फूल ही है। वह सौंदर्य और सुगंध को बिखेर रहा है। जिस प्रकार मालिन फूल- फूल से रस लेती है, वैसे ही कवि- चेतना जन- जन के प्रेम के मधु को एकत्रित करती है।यह चेतना प्रिया बनकर जीवन को विस्तारमय प्रसन्नता भी देती है।
प्रश्न 2 फूल और मालिन दोनों के संदर्भ में मधुवर्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-फूल और मालिन दोनों में यौंवन है, दोनों में आकर्षण है। इस क्षणभंगुर जीवन में दोनों को मुरझाना है।इसलिए मालिन मधुर भाव से लोगों के जीवन में खुशी का मधुर वर्णन करें तथा फूल भी खिलकर अपने सौंदर्य एवं सुगंध से लोगों का मन मोह लेता है। यही उसका मधुवर्षण है।
प्रश्न 3 विजय किनके चरणों में लोटती है और क्यों?
उत्तर:-विजय उन नवयुवकों के चरणों में लौटती है, जो दृढ़ संकल्प के साथ विजय पथ पर बढ़ते रहने को उत्साहित रहते हैं। दृढ़ संकल्पित युवक पिछली पीढ़ी से प्रेरणा लेकर स्वयं बढ़कर पीछे नहीं हटते। बिगड़ती परिस्थिति को भी बदल देते हैं। वे निडर हो जय- गीत गाते हैं।संक्षेप में जो समस्त झंझावातों का हंसकर सामना करते हैं, विजय उन्हें ही वरण करती है, क्योंकि ऐसे युवक ही मातृभूमि की रक्षा-सुरक्षा कर सकते हैं, नया निर्माण करते हैं। ऐसे युवक आपदाओं को तुच्छ समझने दूर कर देते हैं।
प्रश्न 4 विश्व कब झुकता है? उसे झुकाने की सामर्थ्य किसमें है?
उत्तर:-विश्व उन्हीं के सामने झुकता है, जिनमें झुकाने की ताकत होती है। विश्व को झुकाने की ताकत उन युवकों में होती है, जो बिगड़ी परिस्थिति को भी अपने स्तर में बदल देते हैं, जो निडर हो जय- गान करते हैं।ऐसे परिश्रमी युवक ही इच्छित फल प्राप्त करते हैं तथा विश्व इनके सामने नतमस्तक होता है,क्योंकि इनमें अपनी ओजस्वी प्रतिभा से विश्व को झुकाने की क्षमता होती है, विनम्र भाव से।
प्रश्न 5 'सृष्टि का चित्र नाश की पटभूमिका पर'अंकित करने की बात कवि क्यों कह रहा है?
उत्तर:-'सृष्टि का चित्र यश की पटभूमिका पर'का तात्पर्य है - ध्वंस होती मानवता। परोपकारिता कि इस भूमि पर सृष्टि का नूतन चित्र अंकित करना है। नवयुवक अपनी संकल्पित शक्ति से नाश की भूमि पर नव निर्माण की गाथा लिखने का परम पुनीत कार्य करते हैं।नव युवकों को चाहिए कि राष्ट्र उन्नति के लिए वे विजय- पथ पर आगे बढ़ते रहें। आगे बढ़ते कदम पीछे नहीं रखें। आत्मा शक्ति से ही सृष्टि की नई रचना संभव है।
प्रश्न 6 निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(1) हम तुम बहुत पुराने साथी........ कण-कण कर जोड़ो। उत्तर:-संदर्भ:-
प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक की कविता "देखो मालिन, मुझे न तोड़ो" से ली गई है। इसके कवि श्री शिवमंगलसिंह 'सुमन' है।
प्रसंग:-
इन पंक्तियों में कवि ने जीवन और फूल को एक समान स्वीकार किया है।
व्याख्या:-
फूल मालिन से कहता है कि हे मालिन! संसार के इस मधुबन में हम तुम दोनों पुराने साथी हैं। हम- तुम दोनों तन- मन से कोमल है। हम दोनों घर और वन में खिल रहे हैं। पुष्प मधु कण- कण कर जोड़ता है।
(2) जब जग मुझे तोड़ने...................... मुझे ना तोड़ो।उत्तर:-संदर्भ - प्रसंग:-
पूर्ववत।
व्याख्या:-
फुल मालिन से कहता है कि संसार के लोग जब मुझे तोड़ने आते हैं, तो मैं हंसते- हंसते रोने लगता हूं। लेकिन जब तुम मुझ पर हाथ उठाती हो, मुझे तोड़ने लगती हो, तो मैं अपने होश- हवास खो बैठता हूं। मेरा और तुम्हारा हदय एक- सा है। इसलिए इस हदय को मत मरोड़ो।
(3) लौटती है विजय.......................... तेरी सुनिश्चित
उत्तर:-संदर्भ:-
प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक की कविता 'बढ सिपाही' से ली गई है। इनके कवि श्री विष्णुकांत शास्त्री हैं।
प्रसंग:-
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने नवयुवकों को सिपाही की संज्ञा देते हुए उन्हें विजय के आत्म बल से युक्त बनाना चाहा है। विजय- पथ पर आगे बढ़ना प्रत्येक नवयुवक का संकल्प होना चाहिए, तभी वह विश्वास अर्जित कर सकेगा।
व्याख्या:-
कवि नव युवकों को समझाते हुए कहता है कि विजय उन्हें ही मिलती है, जिन्हे विजय का विश्वास होता है। जो विजय पथ पर अपने चरण आगे बढ़ाते हैं, विजय उनके चरणों को छूती है, जो नवयुवक आई हुए आपदाओं को तुच्छ समझ कर उन पर विजय प्राप्त करता है, जो धर्म पथ पर एडिंग रहता है, वह जीवन में विजय होते हैं। जिनमें विश्व को झुकाने की क्षमता है, विश्व उन्हीं के समक्ष झुकता है।कवि कहता है कि नव युवकों में विजय का यह विश्वास जीवन दर्शन बनकर बिगड़ी परिस्थितियों को बदलने की सामर्थ्य रखता है। जो बिगड़ी परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने का सामर्थ्य रखते हैं, वे निडर होकर जय-गाना गाते रहते हैं। हे नव युवकों, हे सिपाही! जीवन-पथ पर संभल कर आगे बढ़ो, तुम्हें इच्छित फल प्राप्त होगा। विश्वास रखो, तुम्हारी विजय निश्चित है।
(4) छोड़ देगी मार्ग............................. तेरी सुनिश्चित।उत्तर:-संदर्भ:-प्रसंग:-
पूर्ववत।
व्याख्या:-
कवि कहता है कि हे युवक! यदि तुम अपने आत्म बल से विजय पथ पर आगे बढ़ते रहें, विध्नो पर विजय प्राप्त करते रहें, तो विध्न, बाधाएं तुम्हारे मार्ग से दूर हो जाएगी, वे तुम्हारा मार्ग ही छोड़ देगी। समय बड़े आदर से तुम्हारा अभिनंदन करेगा। गगन अपनी गर्जना के स्वर में तुम्हारी गर्व गाथा कहेगा तथा यह धरती अपने वक्ष स्थल पर तुम्हारे पद चिन्हों को लेकर धन्य हो जाएगी। तुम गौरवान्तित त्यागमय इतिहास का निर्माण कर रहे हो। इसलिए तुम्हारी विजय सुनिश्चित है।
प्रश्न 7 फूल और मालिन की किन समानताओं की ओर कवि ने संकेत किया है?
उत्तर:-फूल और माल इन दोनों में यौंवन है, आकर्षण है। दोनों बहुत पुराने साथी हैं। दोनों तन- मन से कोमल है। एक गृह में खिलता है, दूसरा उपवन में। दोनों मधु वर्षण करते हैं।
काव्य सौंदर्य-
प्रश्न 1निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम तथा तद्भव शब्दों की प्रथक- प्रथक सूची बनाइए-
सृष्टि, गर्व, तुच्छ, पट, उज्जवल, बादल, फूल, मधु, पुराना, पीछे।
उत्तर:-तत्सम:-
सृष्टि, गर्व, तुच्छ, उज्जवल, मधु।
तद्भव:-
पट, बादल, फूल, पुराना, पीछे।
प्रश्न 2 निम्नलिखित पंक्तियों में काव्य गुण पहचान कर लिखिए-
(1) "दोनों तन- मन से कोमल है, फूल रहे गृह, वन में।"
उत्तर:-माधुर्य।
(2)"प्राण में भर अटल साहस खेल ले, इनको खिला ले।"
उत्तर:-ओज।
प्रश्न 3 निम्नलिखित पंक्तियों में कौन- सा रस प्रधान है पहचान कर लिखिए-
"जब जग मुझे तोड़ने आता, मैं हंस- हंस रो देता,
जब तुम मुझ पर हाथ उठाती, मैं सुधि बुधि खो देता,
हदय तुम्हारा सा ही मेरा, इसको यों न मरोड़ा।"
उत्तर:-करुण रस।
प्रश्न 4 निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-
निश्चित, आदर, आकर्षण, कोमल, साहस, यौवन, मुरझाना।
उत्तर:-निश्चित - अनिश्चय
आदर - अनादर
आकर्षण - विकर्षण
कोमल - कठोर
साहस - हतोत्साहस
यौवन - बुढ़ापा
मुरझाना - खिलना
प्रश्न 5 पाठ में आए पुनरुक्त प्रकाश के उदाहरण छांट कर लिखिए।
उत्तर:-कण-कण, हंस- हंस।
प्रश्न 6 निम्नलिखित पंक्तियों का भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) "गगन गायेगा गरज कर गर्व से तेरी कहानी।"
उत्तर:-कवि कहता है कि हे नवयुवक! तुम विजय- पथ पर अग्रसर होओ। यदि तुम अपनी आत्मशक्ति से त्यागमय इतिहास की नवीन रचना करते हो, समस्त आपदाओं पर विजय प्राप्त करते हो, तो यह गगन अपनी गर्जना से तुम्हारे गर्व की कहानी कहेगा, जिससे तुम दूसरों के लिए पथ-प्रदर्शक बन जाओगे।
(ख) "काल अभिनंदन करेगा आज तेरा समय सादर।"
उत्तर:-कवि के अनुसार विजय- पथ पर अग्रसर नवयुवक सदैव दूसरों से यश प्राप्त करता है, वह पूर्व अनुभवियों से प्रेरणा प्राप्त कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है, राष्ट्र के दुखों को दूर करता है। ऐसे नवयुवकों का समय भी बड़े आदर के साथ अभिनंदन करता है। अर्थात वे हर समय यश प्राप्त करते रहते हैं।
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