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"Questions answer Topic - 19”

Topic - 9
                 विविधा -1
(1) बसंत गीत:- कवि का नाम-          सूर्यकांत त्रिपाठी'निराला'

(2) अमृत का घूंट शक्ति के:-कवि का नाम-गजानन माधव 'मुक्तिबोध'
प्रश्न 1 सही विकल्प चुनकर लिखिए-
(क) 'तुलसीदास'रचना के कवि है-
उत्तर:-निराला।
(ख) केशर के केश कली में अलंकार है-
उत्तर:-अनुप्रास।
(ग) 'हीरक सी समीर माला जप' में अलंकार है-
उत्तर:-उपमा।
(घ) मधुप का पर्यायवाची शब्द है- 
उत्तर:- विष।
(ड)'सन्त गीत' प्रकृति चित्रण है-
उत्तर:-निराला का।
प्रश्न 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) आज मैंने शक्ति के अमृत का घूंट पिया।
(ख) धरती है मानव, तो बसंत मानवता है।
(ग)सखि बसंत आया
     भरा हर्ष वन के मन, नवत्कर्ष छाया।
(घ) हीरक सी समीर माला जप
     शैलसुता अपर्णा- अशना।
प्रश्न 3 सही जोड़ी बनाइए-
उत्तर:- (अ)                                  (ब)
        बसंत गीत              -           निराला
        अमृत का घूंट।        -          शक्ति का
       काठ का सपना।       -          मुक्तिबोध
      धरती है मानव।         -          बसंत मानवता है।
       अपर्णा                    -            पार्वती।
प्रश्न 4 सत्य /असत्य लिखिए-
(क) 'तार सप्तक' के कवि मुक्तिबोध है। (✓)
(ख) निराला का 'बसंत गीत'प्रसिद्ध रचना है। (✓)
(ग)'मुक्तिबोध'भक्ति काल के महत्वपूर्ण कवि है। (×)
(घ) बसंत को पृथ्वी का आंचल कहा गया है। (×)
(ड)'बसंत वासंती लेगी'मुक्तक काव्य रचना है। (✓)
प्रश्न 5 एक शब्द/ वाक्य में उत्तर लिखिए-
(क)'तुलसीदास'कृति के रचनाकार कौन है?
उत्तर:-निराला।
(ख) 'चांद का मुंह टेढ़ा है'के रचनाकार का नाम लिखिए।
उत्तर:-मुक्तिबोध।
(ग) बसंत कौन- सा भाव लेकर आता है?
उत्तर:-प्रसन्नता एवं उत्कर्ष का।
(घ)मुक्तिबोध ने प्रकृति को किस रूप में पहचाना है? उत्तर:-मनुष्य की चेतना के रूप में।
(ड) ऋतुराज किसे कहा गया है?
 उत्तर;-बसंत ऋतु को।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 पृथ्वी का आंचल किस प्रकार का कहा गया है? उत्तर:- पृथ्वी का आंचल सुनहरी फसल को कहा गया है।
प्रश्न 2 बसंत के आगमन पर प्रकृति में क्या- क्या परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:-बसंत के आगमन पर जंगल हर्षित होता दिखाई देता है, नया उत्कर्ष छा जाता है।
प्रश्न 3 'धरती और बसंत'का आपस में क्या नाता है? 
उत्तर:-धरती यदि मानव है, तो बसंत मानवता है।
प्रश्न 4 नए-नए फुल कवि को कैसे लगते हैं?
 उत्तर:-नए-नए फुल कवि को आग भरे, जीवन सुहाग भरे लगते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 'पल्लव-वसना'किसे कहा गया है?
उत्तर:-'पल्लव वसना' बसंत ऋतु को कहा गया है, क्योंकि इस समय वृक्षों में नए पत्ते आ जाते हैं।
प्रश्न 2 पार्वती और रूखी डाल के बीच कौन- कौन सी समानताएं हैं?
 उत्तर:-वसन बसंती लेगी'गीत में कविवर निराला ने वृक्षों की पत्र हीन सूखी डाली में तपस्विनी पार्वती का रूपयन किया है। बसंत के पूर्व वृक्षों की डालियों के पत्ते झड़ जाते हैं। फलत:वे पत्रविहीन डालिया किसी तपस्विनी की भांति दुबली- पतली और कांतिहीन प्रतीत होने लगती है।इसी परिप्रेक्ष्य में कवि ने डाली की तुलना पर्वत पुत्री पार्वती (तपस्विनी) से की है।
प्रश्न 3 "धरती है मानव तो बसंत मानवता है"कवि की इस उक्ति का आशय समझाइए!
 उत्तर;-'  मनुष्य जब मानवता की भावना से जुड़ता हे तभी उसके भीतर बसंत खिलताा है कवि नेे कवि ने इस बात को रुपए के रूप में स्पष्ट किया है
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 निराला ने नवोत्कर्ष की बात किसके लिए कही है? उत्तर:-निराला ने नवोत्कर्ष की बात बसंत के लिए कही है।बसंत का आगमन होते ही 1 में नवीन सौंदर्य का उत्कर्ष होने से प्रकृति बहुत हर्षित हो उठी है।
प्रश्न 2 "मधुर्वत में रत वधू मधुर फल, देगी जग को स्वाद तोष दल"के भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-इस पंक्ति का आशय यह है कि बसंत का आगमन होते ही यह पत्रहीन डाली पार्वती की भांति श्रंगारित होकर नवल रूप धारण करेंगी। उस तपस्वीनी डाली की तमस्या सफल होगी और उसे वासन्तिक परिधान के रूप में श्रंगार करने का मौका प्राप्त होगा। यह संसार भर को संतुष्ट करने वाली फल और पत्ते देगी।
प्रश्न 3 मुक्तिबोध ने प्रकृति को किस रूप में पहचाना है? उत्तर:-मुक्तिबोध ने प्रकृति को मनुष्य की चेतना के रूप में पहचाना है। इस प्रकार कवि ने वसंत के संपूर्ण सौंदर्य को मनुष्य के माध्यम से ही व्यक्त किया है। बसंत मैं खिले लाल-लाल पुष्प मानो मनुष्य के हृदय के भीतर जलने वाली क्रांति विधात्री आग का ही प्रतिरूप है।
प्रश्न 4 'मुझमें अपना ज्वेलत बसंत निहार लिया' से कवि का क्या आशय है?
उत्तर:-कवि के भीतर निहित बसंत को पृथ्वी ने निहारा। पृथ्वी ने समझा कि प्रकृति में व्याप्त बसंत उसका अपना नहीं है, वह तो कवि की लावणी में छाया है।
प्रश्न 5 मुक्तिबोध ने नए-नए फूलों का वर्णन किस रूप में किया है?
उत्तर:-मुक्तिबोध ने नए-नए फूलों का वर्णन आग के रूप में किया है। वह कहता है कि यह फूल जीवन के सुहाग है, इन्हें धरती ने खिलाए है। यह जलते हुए ही प्रतीत हो रहे हैं।
प्रश्न 6 निम्नलिखित पद्यांश ओ की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(1) किसलय- वसना..................तरु- पतिका।
उत्तर:-संदर्भ:-
                  प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक की कविता 'बसंत गीत' से ली गई है। इनके कवि श्री सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' है।
प्रसंग:-
          इन पंक्तियों में बसंत के सौंदर्य का वर्णन किया गया है।
व्याख्या:-
            नहीं उम्र में लतिका ने पत्ते रूपी वस्त्र धारण कर लिए हैं तथा वह अपने प्रिय वृक्ष से मधुर मिलन मना रही है। भाव यह है कि वृक्षों पर लताएं फैल रही है। वह पत्तों से आच्छादित है।
(2) हीरक - सी समीर........................ अपर्णा अशना।
उत्तर:-संदर्भ;-
                   यह काव्य पंक्तियां कविवर श्री सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित कविता 'वसन बासंती लेगी' से अवतरित है।
प्रसंग:-
         वृक्ष की रूखी डाली का तपस्विनी के रूप में सुंदर भावात्मक चित्रण।
व्याख्या:-
           चमकीली सफेद धूप इसके हाथों की हवा रूपी माला के हीरे (मनके) हैं। अभी तो यह पत्तों को भी नहीं धारण करने वाली तपस्विनी है।
(3) धरती ने............................... निहार लिया।
उत्तर:-संदर्भ:-
                 कविता- 'अमृत का घूंट शक्ति के'। कवि - गजानन माधव 'मुक्तिबोध'।
प्रसंग:-
           कवि ने बसंत के संपूर्ण सौंदर्य को मनुष्य के माध्यम से व्यक्त किया है।
व्याख्या:-
             धरती ने भी अपना घुंघट खोलकर कवि मैं स्थित ज्वलन्त बसन्त को निहारा है।

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