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Question answer Topic 21

सहायक वाचन 

                  अध्याय 1
           ą¤‰ą¤¤्तराखंऔ की यात्रा
लेखक का नाम:- सेठ गोविंद दास
प्रश्न 1 सही विकल्प चुनकर लिखिą¤-
(क) रुद्रप्रयाग के आगे के प्रवाह का नाम है-
उत्तर:-अलकनंदा।
(ख)उत्तराखंऔ की यात्रा का वर्णन कौन कर रहा है-
उत्तर:-सेठ गोविंददास।
(ग) अलकनंदा के किनारे बसा है-
उत्तर:-बद्रीधाम।
(घ) यह तीर्ऄ स्ऄान उत्तराखंऔ में नहीं है-
उत्तर:-रामेश्वरम।
(औ) महाभारत की रचना की ऄी-
उत्तर:-महर्षि वेदव्यास ने।
प्रश्न 2 रिक्त स्ऄानों की पूर्ति कीजिą¤-
(क) रुद्रप्रयाग मंदाकिनी का हरा जल अलकनंदा के नीले जल में समा गया है।
(ख) अष्ą¤Ÿą¤›ाप के कवियों में सूरदास का स्ऄान प्रसिद्ध है।
(ग) धार्मिक भावनाओं के दर्शन देवालयों में होते हैं।
(घ) जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन जैसी
(औ) वेदव्यास ने महाभारत की रचना की ऄी।
प्रश्न 3 सत्य /असत्य लिखिą¤-
उत्तर:- (क) बद्रीनाऄ की यात्रा यमुनोत्री से सरल है।{✓}
(ख) बद्रीनाऄ अलकनंदा नदी के किनारे बसा है। {✓}
(ग) यमुना नदी के पानी का रंग सफेद है। {×}
(घ)देवप्रयाग में मंदाकिनी का हरा जल अलकनंदा के किनारे जल में समा गया है। {×}
(औ) उत्तराखंऔ के चारों धामों में यमुनोत्री और गंगोत्री का मार्ग बिहऔ और संकीर्ण है।{✓}
प्रश्न 4 सही जोऔ़ी बनाą¤‡ą¤-
उत्तर:- (अ)                                     (ब)
(1)   ą¤Æą¤®ुनोत्री।              -                यमुना
(2)    गंगोत्री।               -                  गंगा
(3)  केदारनाऄ             -                मंदाकिनी
(4)  बदरीनाऄ।             -               ą¤…लकनंदा
(5)  ज्योतिर्मठ              -               ą¤¶ंकराचार्य
प्रश्न 5 ą¤ą¤• शब्द /वाक्य में उत्तर लिखिą¤-
(क) महान ग्रंऄ शंकर भाष्य की रचना किसने की ऄी? उत्तर:-शंकराचार्य ने।
(ख)बद्रीनाऄ और केदारनाऄ के पुजारी को क्या कहा जाता है?
 ą¤‰ą¤¤्तर:-रावल।
(ग) बदरीनाऄ की मूर्ति कैसी है?
उत्तर:-श्याम संगमरमर की।
(घ) रुद्रप्रयाग में कौन- सी नदी बहती है?
उत्तर:-मंदाकिनी।
(औ)उत्तराखंऔ में कौन- कौन से तीर्ऄ स्ऄान है? 
उत्तर:-यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाऄ।
प्रश्न 1 उत्तराखंऔ के अंतर्गत कौन- कौन से तीर्ऄ है? उत्तराखंऔ की यात्रा में शारीरिक कष्ट के विपरीत किस प्रकार का आनंद मिलता है? और क्यों?
उत्तर:-उत्तराखंऔ के अंतर्गत यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाऄ और बद्रीनाऄ तीर्ऄ है।
 ą¤‰ą¤¤्तराखंऔ की यात्रा में शारीरिक कष्ट के विपरीत ą¤ą¤• प्रकार का मानसिक आनंद मिलता है। यहां का प्राकृतिक दृश्य बहुत ही मनोरम है। चारों तरफ बहता पानी, पर्वत श्रंखलाą¤ं ą¤ą¤µं सघन हरियाली प्रत्येक दर्शनार्ऄी का मन मोह लेती है। उत्तराखंऔ के चारो धाम चार पवित्र नदियों के तट पर स्ऄित है। यह नदियां है- यमुना, गंगा, मंदाकिनी तऄा अलकनंदा। इन नदियों के दर्शन के साऄ-साऄ चारों तीर्ऄों के दर्शन से आलौकिक मानसिक शांति मिलती है।
प्रश्न 2उत्तराखंऔ के चारो धाम किन चार पवित्र नदियों के किनारे स्ऄित है?
उत्तर:-उत्तराखंऔ के चारो धाम चार पवित्र नदियों के तट पर स्ऄित है। यमुनोत्री यमुना नदी के किनारे, गंगोत्री गंगा नदी के किनारे, केदारनाऄ मंदाकिनी के किनारे, कऄा बद्रीनाऄ अलकनंदा के किनारे स्ऄित है।
प्रश्न 3 उत्तराखंऔ के प्राकृतिक दृश्य श्रद्धालुओं को क्यों आकर्षित करते हैं?
 ą¤‰ą¤¤्तर:-उत्तराखंऔ के प्राकृतिक दृश्य श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। यह मानसिक आनंद प्रदान करते हैं। यहां ऊंचाई पर चीऔ के सुंदर वृक्ष है। देवदार के वृक्ष भी पर्याप्त मात्रा में है। इनसे पर्वत की शोभा द्विगुणित हो जाती है। ऊंचे- ऊंचे शिखरों से गिरते अगणित जलप्रपात वन प्रदेश की शोभा बढ़ा देते हैं। नदियों का प्रवाह भी मन को मोहित कर देता है।
प्रश्न 4 ज्योतिर्मठ के विषय में संक्षिप्त जानकारी लिखिą¤।
उत्तर:-ज्योतिर्मठ मैं शहतूत के वृक्ष के नीचे तोपोभूत शंकराचार्य को ज्योति के दर्शन हुą¤ और उसके निą¤•ą¤Ÿ शंकर गुफा में वह निवास किया करते ऄे। इसी वृक्ष के नीचे भगवान शंकराचार्य ने तत्वज्ą¤žान के उस महान ग्रंऄ शांकर भाष्य की रचना की ऄी। ज्योतिर्मठ का सेब, नाशपाती, अखरोट आदि फलों के लदे पौधों का बगीचा है।यहां संस्कृत का विद्यालय ą¤†ą¤œ भी ą¤œą¤—ą¤¤ą¤—ुरु शंकराचार्य के पवित्र प्रयत्नों और संकल्पों को दोहराता है।
प्रश्न 5 "हमारे ऋषि-मुनियों ने तपोवनों में भारत की ą¤ą¤•ą¤¤ा पर चिंतन किया है।"- ą¤øą¤®ą¤ाą¤‡ą¤।
उत्तर:-हमारे ऋषि-मुनियों ने तपोवनों में भारत की ą¤ą¤•ą¤¤ा पर चिंतन किया है। भारत के उत्तर में इन दो देव मंदिरों केदारनाऄ और बद्रीनाऄ के पुजारी, जिन्हें रावल कहा जाता है, उत्तर के न होकर केदारनाऄ के कर्नाą¤Ÿą¤• से और बद्रीनाऄ के केरल से आते हैं। ą¤†ą¤œ पर्यन्त उनके द्वारा निर्धारित पद्धति और नियम का पूर्णतया पालन हो रहा है। भारत को ą¤ą¤• सूत्र में बांधे रखने के जिस भावना का दर्शन हमारे इन ऋषि-मुनियों में होता है, उसे इन मंदिरों के पूजन नियम में अनुभव कर प्रत्येक भारतीय का मस्तक श्रद्धा से इन ऋषि चरणों में ą¤ुक जाता है।
प्रश्न 6 लेखक ने उत्तराखंऔ के प्राकृतिक संसाधनों के बारे में क्या लिखा है? अपने शब्दों में वर्णन कीजिą¤।
उत्तर:-लेखक उत्तराखंऔ के प्राकृतिक संसाधनों के बारे में लिखते हैं कि यहां इतना पानी है, जितना अन्यत्र कहीं नहीं। इस सिंचाई से केवल अधिक अन्न ही नहीं ą¤‰ą¤Ŗą¤œाया जा सकता, परंतु लंबे- चौऔ़े फलों के उद्यान भी लगाą¤ जा सकते हैं।खनिज पदार्ऄों की खोज करके उन खनिज पदार्ऄों का पर्वतराज के पेट से निकालकर जन उपयोग में लाया जा सकता है। जंगली वृक्ष और बात से काą¤—ą¤œ की उत्पत्ति की जा सकती है।भेऔ़ों की नस्लों को सुधार कर उनसे उनकी उत्पत्ति बढा, उनके गृह उद्योग जारी किą¤ जा सकते हैं
प्रश्न 7 इस यात्रा- वृत्तांत को पढ़कर आपके मन में कौन-कौन सी प्रेरणाą¤ं जागती है? लिखिą¤।
उत्तर:-इस यात्रा वृत्तांत को पढ़कर हमारे मन में अनेक प्रेरणाą¤ं जागती है। हमें देश के कोने- कोने में जाकर वहां प्राकृतिक, अध्यात्मिक सौंदर्य के दर्शन करना चाहिą¤। हमारे ऋषि- मुनि हिमालय की तराइयों में साधनारत रहते ऄे, उन्होंने अनेक ग्रंऄों की रचना यही की। यात्रा के दौरान हमें उनके संबंध में अधिक जानकारियां प्राप्त हो सकती है। प्रकृति से लगाव इन यात्राओं द्वारा हो सकता है। यात्राओं द्वारा भारत की ą¤ą¤•ą¤¤ा को बढ़ावा मिलता है।

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