Topic - 9
रंगोली
लेखक का नाम- डाॅ.शिवप्रसाद सिंह
प्रश्न 1 सही विकल्प चुनकर लिखिए-
क) डॉ शिवप्रसाद सिंह द्वारा रचित पाठ है-
उत्तर:-रंगोली।
ख) विरोध और अशुभ का सूचक रंग है-
उत्तर:-काला।
ग) सफेद रंग क्या प्रदान करता है-
उत्तर:-सुंदरता।
घ) प्रकृति और सौंदर्य के सुकुमार कवि माने गए हैं-
उत्तर:-सुमित्रानंदन पंत।
ड) दिव्य का तुलनात्मक स्वरूप है-
उत्तर:-दिव्यतम।
प्रश्न 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1) कृत्या, विष और छाया का रंग काला है।
2) रंगों की दुनिया बड़ी विचित्र और मनमोहक है।
3) राधा की पिंगलता के प्रभाव से श्यामकृष्ण की हरित दुति प्रसिद्ध है।
4) समस्त रंग अलग होते हुए भी इंद्रधनुष का निर्माण करते हैं।
5) कला की अधिष्ठात्री देवी श्वेत है।
प्रश्न 3 सत्य /असत्य लिखिए-
क) 'रंगोली' एक कहानी है।
उत्तर:-असत्य।
ख) 'रंगोली' के लेखक डॉ शिवप्रसाद सिंह है।
उत्तर:-सत्य।
ग) 'काला रंग' विरोध का सूचक है।
उत्तर:-सत्य।
घ) बिना रंग की वस्तु हो सकती है।
उत्तर:-असत्य।
ड) गिरा अनयन नयन बिनु बानी।
उत्तर:-सत्य।
प्रश्न 4 सही जोड़ी बनाइए-
उत्तर:- (अ) (ब)
1) रंगोली - डॉ शिवप्रसाद सिंह
2) राधा - कृष्ण
3) गिरा - अनयन
4) नयन - बिनु बानी
प्रश्न 5 एक शब्द /वाक्य में उत्तर लिखिए-
क) 'रंगोली' किस विधा का पाठ है?
उत्तर:-ललित निबंध।
ख) रंगोली के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर:-डॉ शिवप्रसाद सिंह।
ग) कौन- सा रंग अशुभ एवं विरोध का सूचक है?
उत्तर:-काला रंग।
घ) 'गिरा अनयन नयन बिनु बानी' यह पंक्ति किसने लिखी?
उत्तर:-तुलसीदास ने।
ड) 'हरित दुति' किसके लिए कहा गया है?
उत्तर:-कृष्ण के लिए।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1बिना रंग की वस्तु के संबंध में लेखक ने क्या कहा है?
उत्तर:-बिना रंगों की वस्तु के संबंध में लेखक ने कहा है कि ऐसी कोई कल्पना उसके मस्तिष्क में नहीं आती।
प्रश्न 2 श्वेत रंग की वस्तुओं के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:-खड़िया, ओंस।
प्रश्न 3 काले रंग को भयप्रद क्यों कहा है?
उत्तर:-काले रंग को भयप्रद इसलिए कहा है, क्योंकि अंधेरी रात भयावनी है, भद्र काली का रूप काला है, वह भयप्रद है, आदि।
प्रश्न 4 "शीतल हरीतिमा" वाक्यांश का प्रयोग निबंधकार ने किस कवि के संदर्भ में किया है?
उत्तर:-शीतल हरीतिमा का प्रयोग निबंधकार ने सुमित्रानंदन पंत के लिए किया है।
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 "कोई भी दो चीजें" एक सी क्यों नहीं होती?
उत्तर:-कोई भी दो चीजें एक- सी नहीं होती और एक रंग की चीज सबको एक- सी ही दिखेगी, यह भी जरूरी नहीं। बाप ने जिस रंग का आसमान देखा है, बेटा भी वैसा देखेगा ही, यह कहना कठिन है।
प्रश्न 2 एक रंग के साथ दूसरे रंग का मिश्रण मानव ने प्रकृति से सीखा है। इसकी पुष्टि हेतु दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:-किस रंग के साथ किस रंग का संधान या मिश्रण उचित होगा, इसे भी मानव ने प्रकृति से ही सीखा। 'कजरारी अंखियन' में बसने वाले कृष्ण के बारे में गोपी कहती है- "सखि वे पीले हैं, पर आंखों में रहने के कारण नीले दिखाई पड़ते हैं।" राधा की पिंगलता के प्रभाव से श्याम कृष्ण की 'हरित दुति' प्रसिद्ध ही है।
प्रश्न 3 लेखक ने अनुराग और लाल को समानार्थी क्यों बताया है?
उत्तर:-लेखक ने अनुराग और लाल को समानार्थी बताया है। प्रेम में नायक- नायिका की आंखों को लाल होते देखा जाता है।
लाली मेरे लाल की, जित देखूं तित लाल।
लाली देखन मैं गई मैं भी हो गई लाल।
प्रश्न 4 रंग की पहचान करने से होने वाले तीन लाभ लिखिए।
उत्तर:-(अ) सफेद जल के सरोवर में सफेद कमल को देखने से आंखों को शीतलता मिलती है।
(ब) श्वेत- सुंदरता कला में है, क्योंकि वह सुखद है।
(स) लाल की 'लाली' बहुत अच्छी लगती है।
प्रश्न 5 "रंग के बिना सब कुछ सुना है।" लेखक के इस कथन का आशय क्या है?
उत्तर:-रंग के बिना सब कुछ सुना है। जो एक बार रंगों की दुनिया में प्रवेश करता है, चाहे वह गैरिक वाणी का ही कवि हो, उसे बरजोरी करना पड़ता है- "बोरत तो बौरयौं पर नीचोरत बनै नहीं।"
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 रंगों की दुनिया को "विचित्र और मनमोहक" क्यों कहा है?
उत्तर:-रंगों की दुनिया बड़ी विचित्र और मनमोहक होती है। जरा- सा रंग पहचानने की कला मालूम हो तो बेधड़क चलिए - अद्भुत देश है वहां, जहां अमृत वस्तुएं भी रंगीन दिखाई पड़ती है। 'अनुराग'को शायद ही किसी ने देखा हो, वहां उसे 'लाल' कहते हैं। लाल की लाली देखिए, आप भी लाल होंगे ही। सूक्ष्म और अमूर्त वस्तुओं को भी रंगीन बनाना आदमी ने प्रकृति से ही सीखा।काली रात बच्चे को ही नहीं आदमी को भी भयावानी लगती है। सांझ मनहूस और दोपहर उदास। सवेरा प्रफुल्ल लगता है। सब जगह रंग की ही रंगबाजी है।
प्रश्न 2 ऋतुओं का रूप साकार करने के लिए रंगों का प्रयोग होता आया है। उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:- ऋतुओं का रूप साकार करने के लिए रंगों का प्रयोग होता आया है। पाटल के संपर्क से सुरभित वायु की लालिमा तथा कंचन वर्णन सूर्य की प्रखरता से गर्मी का आभास होता है। इंद्रधनुष दिखाई देते ही वर्षाऋतु का आगमन सूचित होता है। हंसों की ध्वनि शरद ऋतु के आगमन को सूचित करती है। दिन में चांदनी से धूप और रात में पीले तारों वाली शिशिर को सभी जानते हैं।
प्रश्न 3 निम्नलिखित पंक्तियों का भाव विस्तार कीजिए-
(अ) "काले मतवाले हाथी पर सवार विद्युत- झण्डियों वाले वर्षा- राज को देखते ही इंद्रधनुष आंखों में छा जाता है।"
उत्तर:-वर्षा ऋतु में आकाश में छाए काले बादल ऐसे प्रतीत होते हैं, मानो वे मतवाले हाथी पर सवार हो तथा उस पर विद्युत की पताकाएं लगी हों। इस समय इंद्रधनुष की छटा दिखाई देती है।
(ब) "रीतिकालीन कवियों की जिंदादिली तो रंगबाजी में ही दिखाई पड़ती है।"
उत्तर:-रीतिकालीन कवियों ने अपनी कविताओं में विशेष रंग भरे हैं। श्रंगार रस और अतिशयोक्ति में भी उनकी गहरी रंगबाजी है। राधा और कृष्ण के प्रेम की पराकाष्ठा का ही परिणाम है कि नंदगांव पर गोरीघटा तथा बरसाने में श्याम घटा छा जाती है, क्योंकि राधा का रंग श्वेत है, और कृष्ण का श्याम।
प्रश्न 4 निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
अ) "आज के विश्व में तो..….......... चटकीले और धूमिल।"
उत्तर:-संदर्भ:-
पाठ का नाम- रंगोली।
लेखक का नाम - डॉ. शिव प्रसाद सिंह
प्रसंग:-
रंग के बारे में लेखक के अपने विचार।
व्याख्या:-
रंगों पर अपनी राय प्रकट करते हुए लेखक कहता है कि आज के विश्व में रंगों ने अपना जादुई रंग छोड़ रखा है।अलग- अलग रंग अलग-अलग प्रकार से अपनी छाप मानस पटल पर छोड़ते हैं। अनेक प्रकार के रंग जैसे- सतरंगा, तिरंगा, लाल, काला आदि अपना चमत्कार दिखाते हैं। स्वागत के अवसर पर लाल रंगों के साथ काला रंग भी उड़ने लगा है। रंगों के मामले में हर देश कि अपनी-अपनी बात होती है। रंगों ने मुहावरों में भी स्थान लेना शुरू कर दिया है। जैसे- रंग जमुना, रंग उखड़ना, रंग उतरना। कहने का तात्पर्य है कि रंग हर क्षेत्र में विस्तारित है। काव्य के क्षेत्र में भी रंगों ने स्थान ले लिया है। वह मजेदार, स्पर्श से परे,चटकीले और धूमिल होते हैं। रसिक कवि अपनी कविताओं से श्रोताओं में रंग जमा देते हैं।
(ब)"श्वेत जल के सरोवर में..... भाल की चंद्रकला भी श्वेत।"
उत्तर:-संदर्भ और प्रसंग:-
पूर्ववत।
व्याख्या:-
रंगों के प्रभाव का वर्णन करते हुए लेखक कहता है कि सफेद जल के सरोवर में,शरद की चांदनी में सफेद कमल आंखों को शीतलता प्रदान करते हैं,पवित्र लगते हैं। उन्हें देखने में सुख का अनुभव होता है। इसी प्रकार की श्वेत सुंदरता कला में है, क्योंकि कला सर्वत्र शीतल, सुखद है। कला की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती को श्वेत बतलाया गया है, उसका आसन, उसके वस्त्र सभी सफेद है। कलागुरु-शिव को श्वेत वर्णित किया गया है, जिसका वास, वस्त्र, वाहन सभी सफेद शोभित है। शिव की गंगा, कैलाश पर्वत, नदी, भाल पर विराजमान चंद्र की कला भी श्वेत है। ये सभी शीतलता की अनुभूति कराते हैं।
(स)"राधा और कृष्ण के प्रेम की....….…... सिर पर महावर लगा आएं।"
उत्तर:-संदर्भ एवं प्रसंग:-
पूर्ववत।1
व्याख्या:-
रीतिकालीन कवियों ने अपनी कविताओं में विचित्र रंग भरे हैं। उन्होंने विशेष रूप से राधा- कृष्ण के रूपों का वर्णन किया है। दोनों के प्रेम की पराकाष्ठा इसी बात से लगाई जा सकती है कि नंद गांव पर गोरी घटा छा जाती है, क्योंकि राधा का रंग गोरा है। इसी प्रकार बरसाने में श्याम घटा छा जाती है क्योंकि कृष्ण का रंग श्याम है। गोपी मेहंदी के लाल रंग और रोरी के लाल रंगों का भेद अच्छी तरह जानती है। इसलिए वह बहाने बनाने वाले को टोकने में भी नहीं चूकती। वह कह उठती है- "इतने बड़े ब्रजमंडल में तुम्हें मांगने पर थोड़ी- सी रोरी नहीं मिली कि तुम सिर पर महावर लगा आएं।"
स्पष्ट है कि एक ही प्रकार के रंगों में भी सूक्ष्म अंतर को कवियों ने अपनी कविताओं में वर्णित किया है।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 1 निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध रूप में लिखिए-
1) मेरी साड़ी तुमसे अच्छी है।
उत्तर:-मेरी साड़ी तुम्हारी साड़ी से अच्छी है।
2) हम अपने पिता के सबसे बड़े लड़के हैं।
उत्तर:-मैं अपने पिता का सबसे बड़ा लड़का हूं।
3) शिकारी ने उस पर गोली चलाई पर शेर बच निकला।
उत्तर:-शिकारी ने शेर पर गोली चलाई पर वह बच निकला।
4) मैंने कारीगर से एक घर को बनवाया।
उत्तर:-मैंने कारीगर से एक घर बनवाया।
5) अब राधा मेरे यहां जाया- आया नहीं करती।
उत्तर:-अब राधा मेरे यहां आया- जाया नहीं करती।
प्रश्न 2 हिंदी में तुलना के तीन सोपान होते हैं
यथा- लघु लघुतर लघुतम
इसी आधार पर नीचे दिए गए शब्दों को तुलनात्मक स्वरूप दीजिए-
दिव्य, सूक्ष्म, अधिक, उच्च, गहन।
उत्तर:-दिव्य। दिव्यतर दिव्यतम
सूक्ष्म सूक्ष्मतर सूक्ष्मतम
अधिक अधिकतर अधिकतम
उच्च उच्चतर उच्चतम
गहन गहनतर गहनतम
प्रश्न 3 'माताये' शब्द का मानक प्रयोग है माताएं, इसी प्रकार दिए गए शब्दों के मानक प्रयोग लिखिए-
उत्तर:- शालायें - शालाएं
बालिकाये - बालिकाएं
चाहियें - चाहिए
नयें - नए
कियें - किए
प्रश्न 4 राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-राष्ट्रभाषा जहां अन्य भाषा- भाषी राज्यों के बीच सेतु का काम करती है, वहीं राजभाषा, राज्य के प्रशासनिक कामकाज की भाषा है। राजभाषा अधिनियम के अनुसार, क्षेत्रीय भाषा के साथ- साथ हिंदी में अनुवाद स्वीकार होता है। राजभाषा से तात्पर्य है, जो राज्यकीय व्यवहार की भाषा हो। किसी भाषा को राजभाषा का दर्जा मिल जाने पर उसका महत्व बढ़ जाता है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि में हिंदी ही राजभाषा है। उनका सरकारी पत्र व्यवहार हिंदी में होता है।
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