कंचाभ उपास्थि ऊतक (Conchoidal Cartilage Tissue)
Structure, Function & Types of Conchoidal Cartilage Tissue– in Hindi
परिचय (Introduction):
शरीर में उपास्थि ऊतक (Cartilage Tissue) के कई प्रकार होते हैं, जो अंगों को लचीलापन, सहारा और गति प्रदान करते हैं। "कंचाभ उपास्थि ऊतक" शब्द आमतौर पर जैविक संदर्भों में कम प्रयोग होता है, लेकिन यदि इसे “कान की उपास्थि” (Auricular Cartilage) या इलास्टिक उपास्थि के पर्याय के रूप में समझा जाए, तो यह कानों के लचीले हिस्से में पाया जाने वाला उपास्थि ऊतक है, जो विशेष प्रकार के इलास्टिक तंतुओं से बना होता है।
परिभाषा (Definition):
"कंचाभ उपास्थि ऊतक एक प्रकार का इलास्टिक उपास्थि होता है, जिसमें इलास्टिक तंतु अधिक मात्रा में होते हैं, जो अंगों को अत्यधिक लचीलापन देते हैं, जैसे कि कान की बाहरी बनावट।"
संरचना (Structure)
- कॉनड्रोसाइट्स (Chondrocytes): उपास्थि की प्रमुख कोशिकाएं, जो "लैकूना" (Lacunae) में स्थित होती हैं।
- इलास्टिक फाइबर: यह ऊतक को खिंचने के बाद भी अपने पुराने आकार में लौटने की क्षमता देता है।
- मैट्रिक्स (Matrix): जेल जैसी अर्धद्रव रचना जिसमें इलास्टिक और कोलेजन फाइबर शामिल होते हैं।
- पेरिकॉन्ड्रियम: एक पतली झिल्ली जो ऊतक की रक्षा और पोषण करती है।
कार्य (Functions):
1. कान जैसे अंगों को लचीलापन देना।
2. संरचना बनाए रखते हुए खिंचाव और मोड़ को सहना।
3. श्वसन तंत्र के कुछ भागों को आकार व लचीलापन देना (जैसे एपिग्लॉटिस)।
4. अंगों को झटका सहन करने की क्षमता प्रदान करना।
प्रकार (Types):
1. कर्ण उपास्थि (Auricular Cartilage):
- कान के बाहरी भाग में पाई जाती है।
- बहुत लचीली होती है।
2. स्वर यंत्रीय उपास्थि (Epiglottic Cartilage):
- स्वरयंत्र (Larynx) के ऊपरी भाग में पाई जाती है।
- भोजन निगलते समय ट्रेकिया को बंद करती है।
स्थान (Location):
- कान का बाहरी हिस्सा: लचीलापन और आकार बनाए रखना
- एपिग्लॉटिस: भोजन और वायु मार्ग को अलग रखना
- स्वर तंत्र: ध्वनि उत्पादन में सहायक
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