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"Question Answer Topic - 7”

Topic - 7
                                यशोधरा
लेखक का नाम:- डॉ रघुवीर सिंह
प्रश्न 1 सही विकल्प चुनकर लिखिए-
क) डॉ रघुवीर सिंह की रचना नहीं है-
उत्तर:-परिमल।
ख) कपिलवस्तु के राजकुमार का नाम था-
उत्तर:-गौतम।
) इस पाठ में चिरवियोगिनी किसको कहा है-
उत्तर:-यशोधरा को।
घ) निम्न में से कौन सा शब्द देशज नहीं है-
उत्तर:-दिवस।
ड)गौतम बुद्ध को किस संबोधन से पुकारा गया है-
 उत्तर:-तथागत।
प्रश्न 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1) 'यशोधरा' उच्च कोटि का गद्यकाव्य है।
2) 'यशोधरा' के पति का नाम गौतम तथा बेटे का नाम राहुल था।
3) 'यशोधरा' पाठ के लेखक डॉ रघुवीर सिंह है।
4) गौतम कपिलवस्तु के राजकुमार थे।
5) गौतम तपस्या करने वन को चले गए थे।
प्रश्न 3 सत्य /असत्य लिखिए-
क) गौतम ने यशोधरा से चिरवियोग की भीख मांगी।
उत्तर:-सत्य।
ख) गौतम को बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था।
उत्तर:-सत्य।
ग) यशोधरा ने राहुल को भी पिता के पास भेज दिया।
उत्तर:-असत्य।
घ) बुद्ध तपस्विनी यशोधरा के आगे नहीं झुके।
उत्तर:-असत्य।
ड) 'यशोधरा' पाठ के लेखक डॉ रघुवीर सिंह है।
 उत्तर:-सत्य।
प्रश्न 4 सही जोड़ी बनाइए-
उत्तर:-     (अ)                                (ब)
1)         यशोधरा           -             गौतम पत्नी
2)          राहुल             -             यशोधरा पुत्र
3)       कपिलवस्तु         -         गौतम का जन्म स्थान
4)          गोपीनाथ         -                कृष्ण
5)         तथागत।          -              गौतम बुद्ध
प्रश्न 5 एक शब्द /वाक्य में उत्तर लिखिए-
क) 'यशोधरा' किस विधा का पाठ है?
उत्तर:-गद्य काव्य।
ख) सिद्धार्थ ज्ञान प्राप्ति के बाद क्या कहलाए?
उत्तर:-गौतम बुद्ध।
ग) गौतम के पुत्र का क्या नाम था?
उत्तर:-राहुल।
घ) गौतम कहां के राजकुमार थे?
उत्तर:-कपिलवस्तु के।
ड) 'यशोधरा' पाठ के लेखक कौन है?
उत्तर:-डॉ रघुवीरसिंह।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 यशोधरा दुखी क्यों थी?
उत्तर:-गौतम यशोधरा और पुत्र राहुल को सोता छोड़ वन में तपस्या करने चले गए थे, इसलिए वह दुखी थी।
प्रश्न 2 जीवन- सागर के मंथन से निकले चिर-वियोग के हलाहल को किसने किया था?
उत्तर:-जीवन- सागर के मंथन से निकले चिर-वियोग के हलाहल को यशोधरा ने पिया।
प्रश्न 3 गौतम कहां चले गए थे?
 उत्तर:-गौतम सन्यास प्राप्त करने वन चले गए थे।
प्रश्न 4 गौतम बुद्ध ने यशोधरा से भिक्षा में क्या मांगा?
उत्तर:-गौतम बुद्ध ने यशोधरा से भिक्षा में चिर-वियोग की भीख मांगी।
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1"राहुल पिता के जीवित रहते भी अनाथ हो गया" लेखक ने यह कथन किस संदर्भ में और क्यों कहा?
उत्तर:-बालक राहुल के पिता वन में सन्यास प्राप्त करने चले गए थे। वे आजीवन अपने महल में आने वाले नहीं थे। अतः राहुल को पिता का प्यार मिलना नहीं था। इसलिए राहुल, पिता के जीवित रहते भी अनाथ हो गया।
प्रश्न 2 हिमालय की छांह में रहकर भी यशोधरा का ताप पिघलता क्यों नहीं है?
उत्तर:-यशोधरा का ताप विरह का ताप है। यह ताप प्रियतम के संग की शीतलता से ही मिट सकता है। हिमालय तो बाहरी वातावरण के ताप को दूर करता है। यशोधरा का ताप अंतरिम ताप था, विरह वेदना का।
प्रश्न 3 यशोधरा मृत्यु को भी आकर्षक क्यों मान रही थी?
उत्तर:-आजीवन विरह के ताप में जलने से मृत्यु का आलिंगन उसे शीतल लग रहा था। मृत्यु उसके इस ताप को हरने के लिए एकमात्र उपाय थी, इसलिए यशोधरा को मृत्यु आकर्षक लग रही थी।
प्रश्न 4 बुद्ध को अपने सामने देख यशोधरा सुध- बुध क्यों खो बैठी?
 उत्तर:-बुद्ध को अपने सामने देख यशोधरा अपनी उस मुक साधना और आत्मा के युग भर के इस विरह प्रणय को यह सफल होते देख सारी सुध- बुध खो बैठी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1 बुद्ध को तपस्विनी यशोधरा के आगे क्यों झुकना पड़ा?
उत्तर: बुद्ध को तपस्विनी के आगे झुकना पड़ा, उसकी भावपूर्ण मुद्रा को देखकर। वह कहती है- "मेरे प्रियतम आज उसी नगरी, नहीं- नहीं इन्हीं राजप्रसादों में आए हैं। कुछ ही पदों की दूरी है। आंखें उनके दर्शन को तरस रही है, जी ललचा रहा है, .... परंतु नहीं! आज सन्यासी वेश में झोली फैलाए भिक्षुक बना कैसे देख सकूंगी? ...... प्रेम- प्रणय को भी तो वह स्वयं ही आए थे, फिर आज क्यों मैं उनके पास जाऊं? आज मेरे पास उन्हें देने को रही क्या गया है, फिर भी राजरानी से उस भिक्षुक को क्या चाहिए? इतनी दूर से पैदल चलकर वह आए हैं?मार पर विजई होने वाले तथागत को इस तपस्विनी के आगे झुकना ही पड़ा।
प्रश्न 2 गौतम बुद्ध के चले जाने के बाद निम्नलिखित रूपों में यशोधरा की भूमिका अपने शब्दों में लिखिए-
1) मां के रूप में, (2) पत्नी के रूप में, (3) भारतीय नारी के रूप में।
उत्तर:-1) मां के रूप में:-गौतम बुद्ध के चले जाने के बाद मां के रूप में यशोधरा ने अपने पुत्र राहुल का पालन-पोषण पूरे ममत्व के साथ किया।समय-समय पर वह पिता गौतम के बारे में बताती रहती थी तथा संसार की निस्सारता पर भी शिक्षा देती थी। बाद में उसके कहने पर राहुल भी गौतम की शरण में चला गया था।
2) पत्नी के रूप में:-पत्नी के रूप में यशोधरा ने विरह वेदना को अपने में छिपाए रखा। यद्यपि गौतम बिना बताए दूर चले गए थे, लेकिन उसे गर्व है कि वह गौतम बुद्ध की पत्नी है। संसार को ज्ञान देने वाले बुद्ध की शरणागत बन वह अपने को धन्य मानने लगी।
3) भारतीय नारी के रूप में:- भारतीय नारी के रूप में यशोधरा पूरी तरह सफल सिद्ध होती है।गौतम बुद्ध के द्वारा भिक्षा मांगने पर उस नारी हदय  कि सारी उदारता उमड़ पड़ी, उसका भिक्षा पात्र भर दिया। उसने सर्वस्व त्याग कर दिया। विरह वेदना के बाद भी उसने कभी भी गौतम की आलोचना नहीं की। गौतम उसके लिए पूज्य थे।
प्रश्न 3 "क्या वियोगी हदय की ये नि:स्वासें  भी कभी प्यार की ठंडी दुलारी बयार बन सकेंगी?" यशोधरा की इस पीड़ा को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:-यशोधरा वियोगिनी है, उसकी नि:श्वासे उसे जला रही है। यशोधरा पूछती है कि क्या ये नि:श्वासे  उसे कभी शीतलता प्रदान करेगी? क्या कभी गौतम उसे पुनः मिलेंगे और विरह के ताप को दूर करेंगे? यशोधरा के मानस से उठने वाले यह भाव उसकी पीड़ा को व्यक्त करते हो, वह कहती है।"तब मेरी बांह पकड़कर तुम मुझे अपने साथ यहां लाए थे और आज मुझे यही एकाकी छोड़ मेरा सारा जीवन- सुख लेकर तुम चुपचाप अंधियारे में भाग खड़े हुए। अपना तन दिया, मन न्योछावर किया और अब तो वह जीवन भी हारे बैठी हूं। किंतु वे मुझसे कहकर क्यों नहीं गए! क्या उन्हें अपनी प्रियतमा अर्धांगिनी का भी विश्वास नहीं था?"
प्रश्न 4 विरहिणी और उदास यशोधरा की मनोदशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:-विरहिणी और उदास यशोधरा बैठी है। आंसुओं से पलक भारी होते रहते हैं, अंधेरों पर विरह की पीर देख रही है और आज तो उसका जीवन साथी प्रियतम गौतम भी साथ नहीं है। जगजन्माता धरती भी बैरन जान पड़ती है। वहां चरण रखते भी वह हिचकिचाती है। स्नेह दीप से जगमगाते नवल- नयनों की द्युति क्षीण होने लगी और उसकी यह आज खुली आंखें अब ऋतुराज कि और भी नहीं देखती थी। गए बीते दिनों की मीठी याद भरी मतवाली बीती बातें, जिनसे उसके सांसारिक जीवन का वह सुनापन निरंतर और भी अधिक बढ़ता जाता था। क्या जरा और मृत्यु भी इन स्नेहा- बंधनों को तोड़ सकते हैं या उन्हें किंचितमात्र भी ढीला कर सकेंगे!और सन्यास- वैराग्य के बाद प्रयत्न करने पर भी क्या वे बंधन किसी प्रकार भुलाए जा सकते हैं।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 1 निम्नलिखित सामासिक शब्दों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए- 
नीलकंठ, दुख सागर, जीवन- सागर, जीवन- संध्या, नर-नारी, धर्मचक्र, राज- प्रसाद, स्मृति- सुख।
उत्तर:-1)नीलकंठ   -   नीला है कंठ जिसका (शिव)  (बहुव्रीहि समास)
2) दूख सागर       -    दुख का सागर  (तत्पुरुष समास)
3) जीवन सागर   -   जीवन रूपी सागर (कर्मधारय समास)
4) जीवन संध्या   -   जीवन रूपी संध्या (कर्मधारय समास)
5) नर-नारी।       -    नर और नारी        (द्वन्द समास)
6) धर्मचक्र।        -   धर्म का चक्र         (तत्पुरुष समास)
7) राज-प्रसाद    -    राजा का महल      (तत्पुरुष समास)
8) स्मृति-सुख    -    स्मृति में व्याप्त सुख (तत्पुरुष समास)
प्रश्न 2 निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव एवं देशज शब्द छांटिए-
दिवस, वियोगी, सूर्य, लज्जा, अंधियारे, जरा, पत्नी, आंखें, अधर, विरह, भग्न, बैरिन, सच्चा, बयार, तरस, उमड।
उत्तर:-तत्सम :- दिवस, वियोगी, सूर्य, लज्जा, पत्नी, अन्धर, विरह, भवन। 
तद्भव:-अंधियारे, आंखें, बैरिन, सच्चा, बयार। 
देशज:-जरा, तरस, उमड।
प्रश्न 3 निम्नलिखित वाक्यों को दिए गए निर्देशानुसार बदलिए-
1) सूर्य पश्चिम में अस्त नहीं होता है। (विधानवाचक वाक्य)
उत्तर:-सूर्य पश्चिम में अस्त होता है।
2) बहुत लंबी रेलगाड़ी है। (विस्मयादिवाचक वाक्य)
उत्तर:-अरे! बहुत लंबी रेल गाड़ी है।
3) तुम पढ़ने कब जाओगे। (आज्ञावाचक वाक्य)
उत्तर:-तुम पढ़ने जाओ।
4) माला नहीं नाचेगी। (प्रश्नवाचक वाक्य)
 उत्तर:-क्या माला नहीं नाचेगी?
प्रश्न 4 निम्नलिखित वाक्य का भाव विस्तार कीजिए-
अ) "अपने सारे उजाले को लेकर भी क्या वह सूर्य यशोधरा के उस वियोगी सुने दिल के निराशापूर्ण अंधकार को यत्किंचित भी दूर कर सकता था?"
उत्तर:-भाव विस्तार:-सूर्य प्रकाश साथ लाता है। सूर्य के साथ उजाला आ ही जाता है। वह सबको प्रकाश से भर देता है। लेकिन लेखक का कहना है कि यशोधरा के जीवन में जो अंधकार छाया हुआ है, वह सूरज की रोशनी भी दूर नहीं कर सकती।
ब)"इस कालकूट को पीकर भी यशोधरा नील-कंठा नहीं हुई , कैलाशवासी शंकर भी यह देखकर लज्जा के मारे संकुचा गए।"
उत्तर:-भाव विस्तार:-लेखक का कथन है कि चिर सुख का अप्राप्य अमृत प्राप्त करने की इच्छा से गौतम ने जीवन-सागर का मंथन किया। इस मंथन से चिर-वियोग के निकले भयंकर हलाहल को पीना पड़ा यशोधरा को। लेकिन अफसोस यही है कि इस हलाहल को पीने के बाद भी वह नील-कंठा नहीं हुई। यशोधरा की इसी करुणा से शायद भगवान शंकर भी लजा गए। उन्हें नीलकंठ कहा गया, तो यशोधरा को क्यों नहीं, उसने भी तो हलाहल पिया है।
स)"वह विरक्त तपस्वी न तो भौरों कि गुनगुनाहट ही सुनेगा और न मेघ के साथ भेजे गए संदेश ही उस योगी तक पहुंच पाएंगे।"
उत्तर:-भाव विस्तार:-यशोधरा अपनी विरह वेदना के समाचार गौतम को भौरों की गुनगुनाहट और मेघ द्वारा भेजना चाहती है। लेकिन वह नैराश्य भाव से कहती है कि गौतम विरक्त है। भौरों की गुनगुनाहट उन्हें आकर्षित नहीं करेगी, न ही मेघ की गर्जना द्वारा भेजे गए मेरे समाचार को वे सुन पाएंगे। अत: यशोधरा विरह वेदना की बातें गौतम तक कैसे पहुंचाए? वह अकेली है।

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