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"Question Answer Topic - 5”

Topic -5  

                     तिमिर गेह में किरण- आचरण

लेखक का नाम:- डॉ.श्याम सुन्दर दुबे

प्रश्न 1 सही विकल्प चुनकर लिखिए-

क) 'तिमिर गेह में किरण- आचरण' की शैली का निबंध है-

उत्तर:-आत्मकथात्मक।

) दुख के निवारण का साधन है-

उत्तर:-सद्आचरण।

ग) सृजन ही जीवन का है-

उत्तर:-प्रकाश।

घ) लेखक गांव में क्या देखने गया था?

उत्तर:-पुश्तैनी घर को।

ड़) 'असल प्रकाश' तो हमारे जीवन में छिपा हुआ है। यही 'असल प्रकाश' का अर्थ है-

उत्तर:-सृजन का प्रकाश।

प्रश्न 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1) सृजन का प्रकाश फसल प्रकाश है।

2) प्रकाश जीवन का ही दूसरा नाम है।

3) हम मन के अंधेरे में भटकते हैं।

4) भागदौड़ में पड़ा मनुष्य संवेदनशीलता का शिकार बन रहा है।

प्रश्न 3 सत्य असत्य लिखिए-

क) 'तिमिर गेह मैं किरण-आचरण' के लेखक डॉ श्यामसुंदर दुबे है।

उत्तर:-सत्य।

) साहित्य में जीवन को ऊर्जावान बनाने की शक्ति निहित है।

उत्तर:-सत्य।

ग) सृजन का प्रकाश हमारे जीवन में छिपा है।

उत्तर:-सत्य।

घ) लेखक ने अपने घर का ताला शीघ्र खोल दिया।

उत्तर:-असत्य।

ड़) बचपन के अनुभव स्मृति में स्थायी नहीं होते।

उत्तर:-असत्य।

प्रश्न 4 सही जोड़ी बनाइए-

उत्तर:-        (अ)         ‌                    (ब)

1)    तिमिर गेह में किरण      -         आचरण

2)   सृजन का प्रकाश           -       असल प्रकाश

3)   बचपन                      ‌  -        बुढ़ापा

4)   प्रसन्नता                       -       अप्रसन्नता

5)   प्रचार                           -        प्रसार

प्रश्न 5 एक शब्द /वाक्य में उत्तर लिखिए-

क) 'तिमिर' एवं 'गेह' के अर्थ बताइए-

उत्तर:-अंधकार, घर।

ख) तिमिर गेह में कौन सी किरण होनी चाहिए।

उत्तर:-आचरण की।

ग) असल प्रकाश  किसे कहा गया है?

उत्तर:-सृजन का प्रकाश।

घ) जीवन में उर्जा कौन बढ़ाते हैं?

उत्तर:-मेहनत तथा ईमानदारी।

ड़) मन के अंधेरे में भटकते हुए हम एक- दूसरे को क्या करने पर तुले हुए हैं?

 उत्तर:-लहूलुहान।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1 लेखक का बचपन कहां गुम हो गया है?

उत्तर:-लेखक का बचपन उसके मकान की दिवारो मे कहीं गुम हो गया है।

प्रश्न 2 गांव की संध्या में पुजा भाव किन ध्वनि में प्रकट होता है?

उत्तर:- गांव की संध्या में पूजा भाव घंटियों की टनटनआहट और शंख घड़ीयालो की ध्वनियों से प्रकट होता है।

प्रश्न 3 खेत में किस चीज को ढूंढ लेना परम सुख की प्राप्ति जैसा था?

 उत्तर:-खेत में एक पक्की कचरिया को ढूंढ लेना परम सुख की प्राप्ति जैसा था।

प्रश्न 4 घर खुलते ही लेखक को कैसा लगने लगा था?

उत्तर:-घर खुलते ही लेखक को लगा कि जैसे ताले के साथ ही उसके भीतर कुछ खुलता जा रहा है।

लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1 बचपन के अनुभव, स्मृति में क्यों स्थाई होते हैं? उत्तर:-बचपन के अनुभव स्मृति में इसलिए स्थाई होते हैं, क्योंकि बचपन का कच्चैलापन बहुत खरा यथार्थ है, वह स्वप्न नहीं है। यथार्थ सदैव स्थाई होता है। बचपन की वस्तुओं से टकराकर ही हम कभी-कभी उस सुख बिंदु की प्रभाव परिधि में आ जाते हैं।

प्रश्न 2 उन तीन पारंपरिक चीजों के नाम लिखिए जो गांव के जीवन से गायब हो रही है।

उत्तर:-हलो के साथ टिप्पे की टिटकारे, तालाब जैसे भरे बंधान, टिमटिमाते दींयो की रोशनी गांव के जीवन से गायब हो रही है।

प्रश्न 3 आले में गेहूं के दानों के अंकुरित होने को लेखक ने जीवन की किस प्रेरणा से जुड़ा है?

उत्तर:-आले में गेहूं के दानों के अंकुरित होने को लेखक ने जीवन की इस प्रेरणा से जोड़ा है कि प्रकाश जीवन का ही दूसरा नाम है। मिट्टी के दीपक और बिजली के लट्टु जिस प्रकार को विकिरणों करते हैं, वह तो प्रकाश का छायाभास है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1 लेखक ने जीवन में प्रकाश को किन-किन संदर्भ में प्रकट किया है?

उत्तर:-लेखक के अनुसार असल प्रकाश तो हमारे जीवन में छिपा हुआ है-श्रजन का प्रकाश! व्यक्ति का आचरण, व्यक्ति का सील, व्यक्ति का श्रम, व्यक्ति का विवेक और व्यक्ति की भावना जिसे छू ले, वह प्रकाशित हो जाए।बड़े-बड़े अंधेरों को तराशकर यह प्रकाश निर्झर बहा दे। जवारों जेसें पीताभ गेहूं के पौधे क्या यह संदेश नहीं देते की सृजन की यात्रा कभी रुकती नहीं? उससे अंधेरे बंद कमरों में भी नहीं रोका जा सकता।

प्रश्न 2 स्वयं प्रकाशित होकर दूसरों को प्रकाशित करने की क्षमता मनुष्य में किन विशेषताओं से आती है?

उत्तर:-स्वयं प्रकाशित होकर दूसरों को प्रकाशित करने की क्षमता मनुष्य में तब आती है, जब अंधेरे, आपत्तियों आदि में भी अपने प्रति आस्थावान, निष्ठावान रहता है। मेहनत और ईमानदारी ऊर्जा को बढ़ाते हैं।

प्रश्न 3 लेखक को अपने गांव लौटने पर क्या- क्या परिवर्तन दिखाई दिए?

उत्तर:-लेखक को अपने गांव लौटने पर अनेक परिवर्तन दिखाई दिए। जिन हलो के साथ टिप्पे की टिटकारे सुनी थी, वे हल चूल्हे की आग बन गए। फटफटाते ट्रैक्टर खेतों की छाती चीर रहे हैं। तालाब- जैसे भरे बंधान गायब है, बरसाती कम हो रही है, तो कहां से भरे खेत? धरती का पेट चीरकर पानी खींचा जा रहा है। भभकती सिंचाई- मशीने हड़बड़ा रही है। झकझकाती बिजली गांव को चौधिया रही है-टिमटिमाते दीयों की रोशनी का अता- पता नहीं है। न ढोर न बछेरू और गोचर- भूमि गायब है। न कउड़े, न लोग! एक जबरदस्त शुन्य गांव की छाती पर पसरा है। चोरी, डकैती, मुकद्दमा ने गांव की चौपाले तोड़ दी हैं। रामधुनो और भजनों के ढोल- मंजीरे फूट गए हैं। सब अपने-अपने खेत सींचने में लगे हैं।

प्रश्न 4 लेखक ने घर का वास्तविक रूप किन शब्दों में व्यक्त किया है?

उत्तर:-लेखक ने घर का वास्तविक रूप इन शब्दों में व्यक्त किया है- दीवारों पर वर्षा ने उबड़- खाबड़ चतेवरी अंकित कर दी थी। दरवाजे के सामने वाले चबूतरे पर गोखुरो कि रुदन- खुदन से अटपटी वर्णमाला लिख गई थी। घर का समूचा नाक- नक्शा ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे अतीत के प्रहारों को झेलते- झेलते वह झुर्रियां के इतिहास में बदल गया हो। मैं जो ताला लगाकर गया था, उसकी छाती पर जंग जमकर बैठ गई थी। किवाड़ों पर मकड़ीयों के जालों में उलझी-पुलझी  धूल हाथ लगते ही उड़कर चेहरे पर आ गई।

प्रश्न 5 निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-

1) दीवारों पर वर्षा ने........................ बदल गया हो। उत्तर:-संदर्भ:-

                  पाठ- तिमिर गेह में किरण- आचरण

                लेखक- डॉ. श्यामसुंदर दुबे।

प्रसंग:-

          लेखक के गांव में घर की स्मृतियों का चित्रण किया गया है।

व्याख्या:-

            लेखक बहुत दिनों के बाद घर लौटा। लेखक ने देखा कि मकान की दीवारों पर वर्षा के कारण अस्पष्ट से चित्र बन गए थे। दरवाजे के सामने बने चबूतरे पर गाय के खुरों के निशान बने हुए थे। घर के नाक- नक्शे को देख ऐसा लग रहा था, जैसे मकान में झुर्रियां पड़ गई हों। संक्षेप में लेखक कों मकान जर्जर दशा में दिखा।

2) मेरी किलकारियां....................... जा रहा है।

उत्तर:-संदर्भ:- 

                  पाठ- तिमिर गेह में किरण- आचरण

                 लेखक- डॉ. श्यामसुंदर दुबे।

प्रसंग:- पूर्ववत।

व्याख्या:-लेखक अपने घर को देख रहा है। उसे घर की सभी बातें याद आ रही है। वह इसी घर के भीतर किलकारियां भरता था, क्रोध करता था, रोता था। उसे इसी घर से ममत्व मिला था। घर को देखकर उसे याद आता है कि माता-पिता और बहनों की आत्मीयता के दर्शन उसे यहां हुए थे। यह आत्मीयता दरवाजों के भीतर घूमती दिखाई दे रही थी। ताले पर जंग लग गई थी, जिसे खोलने में उसे आधा घंटा लग गया था। लेखक भावुकतावश कह उठता है कि ताले के साथ उसके भीतर भी कुछ खुलता जा रहा है। वह लेख के माध्यम से अपने हृदय की बात बताने जा रहा है।

3) असल प्रकाश...........….... नहीं रोका जा सकता। उत्तर:-संदर्भ:-

                   पाठ-तिमिर गेह में किरण- आचरण।

                   लेखक- डॉ. श्यामसुंदर दुबे।

प्रसंग:-लेखक के दर्शनिक विचार।

व्याख्या:-लेखक ने मकान खोला, तो सर्वत्र अंधकार छाया हुआ था। रोशनदान में पड़े हुए गेहूं वर्षा के कारण उग गए थे। जिससे पीली रोशनी- सी दिखाई दे रही थी। लेखक अपने दर्शनिक भावों को उजागर करते हुए कहता है कि हम प्रकाश को घर- बाहर देखते हैं, लेकिन प्रकाश तो हमारे जीवन में है। यह प्रकाश सृजन का प्रकाश है। मानव का आचरण, चरित्र, श्रम, विवेक और भावना का प्रकाश जिसे छू जाए, वह प्रकाशित हो जाता है। मानव को अपने आचरण, चरित्र से दूसरों को चरित्रवान बनाना चाहिए। मानवीय सृजन का यह प्रकाश बड़े-बड़े अंधेरे को चीरकर प्रकाश का झरना बहा देता है। गेहूं के जवारों का पीला रंग यही संदेश देता है कि सृजन की यात्रा सतत गतिमान रहती है। सृजन को बंद कमरों में रोककर रखा नहीं जा सकता।

4) मुझे लगा हमारे भीतर की....…......... केंद्र बन सकेंगे। उत्तर:- संदर्भ एवं प्रसंग:- पूर्ववत।

व्याख्या:-लेखक ने मकान में घिरे अंधकार को दूर करने के लिए माचिस की तीली जलाई। लेकिन वह तीली बुझ गई। लेखक विचारों में खोकर कहता है की तीली बुझ जाने से जैसे अंधकार उस पर हंस रहा है। लेखक को लगा जैसे उसके भीतर की सृजन चेतना समाप्त होती जा रही है, उसके भीतर सृजन चेतना के स्थान पर हिंसा, स्वार्थ, छल- फरेब, दगाबाजी आदि अनेक विकार डेरा डाले हैं, जो इस अंधेरे में उसे उलझा रहे हैं। लेखक कहता है कि जब मानव मन के अंधकार में भटक जाता है, तो वह एक- दूसरे को लहूलुहान करने से नहीं डरता। लेखक के मत में हदय के अंधकार को दूर करना है, तभी मानवता का प्रकाश फेलेगा और मिट्टी के यह दिए शाश्वत प्रकाश केंद्र बन जाएंगे। मन का प्रकाश ना होने पर बाहरी प्रकाश का इतना मूल्य नहीं।

5) जीवन बहुत सरल........................कर सकोगे। 

उत्तर:-संदर्भ एवं प्रसंग:-पूर्ववत।

व्याख्या:-लेखक अपने विचारों में दर्शन रखते हुए कहा है कि जीवन को इतना सरल मत समझो। मेहनत और ईमानदारी जीवन में उर्जा बढ़ाते हैं अर्थात जीवन जीना है, सफल बनना है, तो मेहनत और ईमानदारी को अनिवार्य अंग बनाना होगा। चाहे लाख अंधेरे आ जाए, लाखों विपत्तियां क्यों ना जाएं, लेकिन हम उन कष्टों में अपने प्रति आस्थावान, निष्ठावान रहेंगे, तो स्वयं तो प्रकाशित होंगे ही, दूसरों को भी प्रकाशित करेंगे।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्दों के हिंदी मानक रूप लिखिए-

उजास, कसैला, किवाड़, चतेवरी

उत्तर:-  उजास     -     उजाला

           कसैला     -     कषाय

          किवाड़      -    दरवाजा 

          चतेवरी      -    चित्रकार।

प्रश्न 2 निम्नलिखित शब्दों के दो दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-   निर्झर, कर्कश, प्रकाश, उल्लास।

उत्तर:- निर्झर   -    झरना, उत्स

          कर्कश   -   कठोर, कर्णकटु

          प्रकाश   -  उजाला, उजास

         उल्लास   -  प्रसन्नता, खुशी।

प्रश्न 3 निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए-

क) उसकी आयु 20 वर्ष है।

उत्तर:-उसकी उम्र 20 वर्ष है।

ख) गुरु के ऊपर श्रद्धा रखनी चाहिए।

उत्तर:-गुरु पर श्रद्धा रखनी चाहिए।

ग) यहां केशरिया दही की लस्सी मिलती है।

उत्तर:-यहां दही की केशरिया लस्सी मिलती है।

घ) भाषा का माधुर्य अता बस देखते ही बनती है।

उत्तर:-भाषा का माधुर्य बस देखते ही बनता है।

प्रश्न 4 निम्नलिखित शब्द युग्मो में से पूर्ण पूनरुक्त, अपूर्ण पूनरुक्त,  प्रति ध्वन्यात्मक शब्द  और भिन्नात्मक को पृथक- पृथक लिखिए।

(तीज- त्योहार, छानी-छप्पर, आल- जाल, छोटी- मोटी, प्रचार- प्रसार, उर्दू- फारसी, खेलते- खेलते)

उत्तर:- पूर्ण पूनरुक्त:-  छानी- छप्पर।

अपूर्ण पूनरुक्त:- आल- जाल, तीज- त्यौहार।

प्रति ध्वन्यात्मक:- प्रचार- प्रसार, खेलते- खेलते।

भिन्नात्मक:-  उर्दू- फारसी, छोटी- मोटी।

प्रश्न 5 दिए गए वाक्यों का भाव विस्तार कीजिए-

1) कूउड़े की आग के ताप से दीपदिपाते चेहरों की प्रसन्नता अंधेरों में भी खनक जाती है।

उत्तर:-गांव में जब अलाव जलते हैं, तो अलाव की आग की गर्मी से दीप्त चेहरों की प्रसन्नता अंधेरे में भी दिखाई देती है। अलाव अंधकार को दूर कर देता है। उसके चारों पर बैठे लोगों की प्रसन्न मुद्रा की झलक अंधकार में भी दी जाती है।

2) जवारों जैसे पीताभ गेहूं के पौधे क्या यह संदेश नहीं देते कि सृजन की यात्रा कभी रुकती नहीं?

उत्तर:-गेहूं के जवारों का पीला रंग हमें यह संदेश देता है कि सृजन की यात्रा कभी खत्म नहीं होती। लेखक उजालदान में कुछ गेहूं के दाने छोड़ गया है। वर्षा और प्रकाश के प्रभाव से वे अंकुरित हो गए। इस प्रकार प्रकृति में सृजन क्रिया सतत चलती रहती है।

प्रश्न 6 मातृभाषा की विशेषताएं लिखिए।

उत्तर:-मातृभाषा की विशेषताएं निम्नलिखित है-मां द्वारा बोली जाने वाली भाषा शिशु सर्वप्रथम सिखता है। जिस क्षेत्र में जो भाषा बोली जाती है, उस क्षेत्र की वह भाषा व्यापक रूप से मातृभाषा कही जाती है। वास्तव में मातृभाषा पालने की भाषा है। जो माता-पिता, परिवार और स्थानीय परिवेश में बोली जाने वाली भाषा होती है। यथा हिंदी क्षेत्र की हिंदी, बंगाल क्षेत्र की बंगाली, पंजाब क्षेत्र की पंजाबी आदि।

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